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पीके चुनाव लड़ेंगे या लड़ाएंगे?

चुनाव रणनीतिकार और जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर को लेकर बिहार में कंफ्यूजन पैदा हो गया है। एक तरफ उनकी पार्टी को बिहार की सभी 243 सीटों पर विधानसभा का चुनाव लड़ना है और दूसरी ओर खुद प्रशांत किशोर तमिलनाडु में नई बनी पार्टी तमिलगा वेत्री कझगम यानी टीवीके का चुनाव अभियान संभालने जा रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव और तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में ज्यादा समय का अंतर नहीं है। इस साल नवंबर में बिहार का चुनाव होगा और अगले साल मई में तमिलनाडु का चुनाव है। यानी छह महीने का अंतराल है। उनकी बनाई संस्था आईपैक पहले से पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के लिए काम कर रही है। यानी अगले साल के शुरू में कम से कम दो बड़े राज्यों में उनको या उनकी संस्था को चुनाव रणनीति का काम संभालना है। अगर वे तमिलनाडु में चुनाव अभियान संभालेंगे तो बिहार में अपनी पार्टी को कैसे चुनाव लड़ाएंगे या खुद कैसे चुनाव लड़ेंगे?

पहले यह सवाल नहीं उठ रहा था लेकिन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन तमिलनाडु में प्रशांत किशोर ने खुले तौर पर ऐलान किया कि वे टीवीके को चुनाव लड़वाने जा रहे हैं। उनके साथ मंच पर तमिल फिल्मों के सुपर स्टार और टीवीके सुप्रीम विजय भी मौजूद थे। प्रशांत किशोर ने मंच से कहा कि अभी तक तमिलनाडु में उनसे ज्यादा लोकप्रिय बिहारी महेंद्र सिंह धोनी हैं लेकिन अगले साल चुनाव में जब वे टीवीके को विजय दिलाएंगे तो वे सबसे लोकप्रिय बिहारी हो जाएंगे। गौरतलब है कि तमिलनाडु में लोग प्रशांत किशोर को जानते हैं क्योंकि पिछले चुनाव में यानी 2021 में उन्होंने एमके स्टालिन की पार्टी डीएमके का चुनाव प्रबंधन संभाला था। अब उन्होंने खुल कर कह दिया है कि वे तमिलनाडु में चुनाव प्रबंधन करेंगे।

इस बीच बिहार में उनको लेकर एक बार फिर चर्चा तेज हो गई है क्योंकि हाल में हुए सी वोटर के सर्वे में प्रशांत किशोर मुख्यमंत्री पद के लिए तीसरे सबसे लोकप्रिय नेता उभरे। उनमें और नीतीश कुमार में बहुत मामूली अंतर रहा। सबसे ज्यादा 41 फीसदी लोगों की पसंद तेजस्वी यादव थे, जबकि नीतीश कुमार को सिर्फ 18 फीसदी लोगों ने पसंद किया। इसके बाद 15 फीसदी लोगों के समर्थन के साथ प्रशांत किशोर तीसरे स्थान पर रहे। इस सर्वे रिपोर्ट के बाद एक बार फिर यह चर्चा तेज हो गई है कि बिहार में बदलाव का आकांक्षी वर्ग उनके एजेंडे से प्रभावित है और इसका फायदा उनकी पार्टी को मिल सकता है। आज अगर नीतीश कुमार लड़ाई से बाहर दिख रहे हैं तो उसका एक बड़ा कारण प्रशांत किशोर हैं। अब उन्होंने यह भी ऐलान किया है कि वे तेजस्वी यादव के खिलाफ राघोपुर सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। अगर वे ऐसा करते हैं तो यह बहुत बोल्ड मूव होगा। वे बिहार में बदलाव और विकास का चेहरा बन कर चुनाव लड़ना चाहते हैं और उनका एक एजेंडा तेजस्वी यादव को भी रोकना है, जिनके बारे में उन्होंने बिहार में प्रचार किया है कि तेजस्वी नौंवी फेल हैं और प्रशासन चलाने में योग्य नहीं हैं। उनके खिलाफ चुनाव लड़ कर वे राजद से अपनी पार्टी का आमने सामने का मुकाबला बनवाना चाहते हैं। एक तरफ यह संभावना है तो दूसरी ओर तमिलनाडु का राजनीतिक असाइनमेंट हैं। इन दोनों के बीच वे कैसे संतुलन बनाते हैं यह देखने की बात होगी।

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