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कौन बनेगा दिल्ली का मुख्यमंत्री?

दिल्ली में आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल की विदाई हो गई। भारतीय जनता पार्टी ने 27 साल के बाद सत्ता में वापसी की है। भाजपा की इस जीत के साथ यह बड़ा सवाल है कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा? हो सकता है कि भारतीय जनता पार्टी के दोनों शीर्ष नेताओं यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दिमाग में कोई नाम पहले से तय हो। लेकिन घोषणा आसानी से नहीं होने वाली है। ध्यान रहे राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा से लेकर महाराष्ट्र तक चुनाव जीतने के बाद भाजपा ने मुख्यमंत्री का नाम तय करने में बहुत समय लगाया था। एक हरियाणा अपवाद है, जहां पार्टी ने मुख्यमंत्री का दावेदार घोषित करके चुनाव लड़ा था तो वहां फैसला पहले से तय था। तभी दिल्ली को लेकर भी सवाल है कि कौन मुख्यमंत्री होगा और पार्टी कब तक इसका फैसला करेगी?

आमतौर पर दिल्ली में भाजपा को पंजाबी और वैश्य की पार्टी माना जाता है। उसको एक बार दिल्ली में सरकार बनाने का मौका मिला तो उसने मदनलाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री बनाया था। लेकिन वह अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की भाजपा थी। उसमें पार्टी एक ढर्रे पर चलती थी। मोदी और शाह ने उसको बदल दिया है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ सब जगह यह बदलाव दिखता है। तभी दिल्ली को लेकर कोई दावा नहीं कर सकता है कि जाट, गूजर, पंजाबी, वैश्य या दलित कौन मुख्यमंत्री बनेगा। क्या भाजपा किसी प्रवासी नेता को मुख्यमंत्री बना सकती है? भाजपा की टिकट पर कई प्रवासी नेता चुनाव जीते हैं। हालांकि उनमें अनुभवी नेता कोई नहीं है।

क्या भाजपा दलित मुख्यमंत्री बना सकती है? भाजपा की ओर से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व राज्यसभा सांसद दुष्यंत गौतम को एक दावेदार माना जा रहा था। लेकिन वे करोलबाग सीट पर चुनाव हार गए हैं। उनके अलावा कोई दूसरा अनुभवी दलित नेता चुनाव नहीं जीता है। राजकुमार चौहान जरूर जीते हैं और अनुभवी भी हैं लेकिन वे शीला दीक्षित की सरकार में मंत्री थे और कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में आए हैं। सो, उनके सीएम बनने के चांस कम हैं। दलित सीएम की बात इसलिए हो रही है क्योंकि अमित शाह ने दिल्ली में प्रचार के दौरान यह सवाल उठाया था कि केजरीवाल ने पंजाब में दलित उप मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया था लेकिन नहीं बनाया। दूसरे, भाजपा कांग्रेस के ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान’ के अभियान को भी पंक्चर करना चाहती है। तीसरे अंबेडकर पर दिए अमित शाह के बयान के विवाद को भी भाजपा खत्म करना चाहती है।

बहरहाल, आप सुप्रीमो और मुख्यमंत्री पद के दावेदार अरविंद केजरीवाल को हरा कर परवेश वर्मा चुनाव जीते हैं तो वे भी सहज दावेदार माने जा रहे हैं। अगर रमेश बिधूड़ी मुख्यमंत्री आतिशी को हरा देते तो वे भी दावेदार होते लेकिन वे जीत नहीं सके हैं। अगर प्रवासी मुख्यमंत्री बनाने की बात आती है तो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय चुनाव जीते हैं। आप छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए कट्टर हिंदुवादी सोच के कपिल मिश्रा भी चुनाव जीते हैं और भाजपा के पहले मुख्यमंत्री रहे मदनलाल खुराना के बेटे हरीश खुराना भी चुनाव जीते हैं। भाजपा के सबसे वरिष्ठ विधायक, नेता प्रतिपक्ष और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता भी जीते हैं। सो, भाजपा के पास पंजाब, वैश्य, जाट, ब्राह्मण, प्रवासी सब के नेता हैं। मोदी और शाह इनमें से किसी को चुनते हैं या कोई चौंकाने वाला फैसला होता है, यह पता चलने में थोड़ा समय लगेगा।

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