पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में जातियों की गिनती का मामला सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले इसे देश को जात-पात पर बांटने की साजिश बताएं लेकिन चुनावी राज्यों में जाति गणना का मुद्दा केंद्र में गया है। बिहार में जाति गणना के आंकड़े सामने आने के बाद ओडिशा ने भी जाति गणना का आंकड़ा जारी किया है। उसने बताया है कि ओडिशा में 39 फीसदी थोड़ी ज्यादा पिछड़ी जातियों की आबादी है। इसके बाद कर्नाटक ने कहा है कि उसका भी आंकड़ा जल्दी ही जारी हो सकता है। ये चुनावी राज्य नहीं हैं लेकिन बिहार, ओडिशा और कर्नाटक की देखा-देखी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी इसकी चर्चा तेज हो गई।
मध्य प्रदेश के कांग्रेस के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कांफ्रेंस करके कहा है कि कांग्रेस के लिए जाति गणना सबसे बड़ा मुद्दा है। कांग्रेस नेताओं ने ऐलान कर दिया है कि सरकार बनी तो जातियों की गिनती कराएंगे। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहले जाति गणना कराने की बात कही और शनिवार की शाम को इसका आदेश भी जारी कर दिया। चुनाव की घोषणा से पहले गहलोत ने जाति गणन का आदेश जारी करके बड़ा दांव चला है। वे खुद पिछड़ी जाति से आते हैं और बिहार के आंकड़ों के बाद यह नैरेटिव बन रहा है कि पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों की आबादी सबसे ज्यादा है इसलिए राजनीतिक नेतृत्व भी उनके हाथ में रहना चाहिए। यह मुद्दा मतदाताओं के एक बड़ा समूह को अपील कर सकता है।