भारतीय जनता पार्टी संसद में अचानक क्यों इतनी आक्रामक हो गई है? उसने क्यों सोनिया और राहुल गांधी से जुड़े ऐसे मामले उठाए हैं, जो पुराने पड़ गए हैं और जिनको पार्टी ने पहले उठा कर छोड़ दिया? सोनिया और राहुल गांधी को देशविरोधी या गद्दार ठहराने के अभियान की टाइमिंग भी बहुत अहम है। एक बड़ा सवाल यह भी है कि जो बातें अभी तक व्हाट्सऐप में चलती थी और जिन बातों के सहारे सोनिया और राहुल गांधी या पूरे नेहरू गांधी परिवार को बदनाम किया जाता था क्या वो बातें अब संसद में उठेंगी और उन पर चर्चा होगी? यह भी सवाल है कि संबित पात्रा संसद में पहुंचे हैं तो अपने साथ साथ टेलीविजन पर प्राइम टाइम में होने वाली बहसों को भी साथ साथ लेकर पहुंचे हैं क्या?
यह सवाल इसलिए है क्योंकि संबित पात्रा और निशिकांत दुबे जो मुद्दे उठा रहे हैं उन मुद्दों को लेकर अभी तक कोई मुकदमा नहीं हुआ है। ये मुद्दे इतने गंभीर हैं और देश की सुरक्षा से इतनी गहराई तक जुड़े हैं कि उन पर पहले मुकदमा होता, कुछ गिरफ्तारियां होतीं और तब संसद में उन्हें उठाया जाता। लेकिन अभी तक कोई एफआईआर नहीं हुई है तो इसका मतलब है कि आरोप व्हाट्सऐप वाले हैं। Parliament winter session
भा.ज.पा. की आक्रामकता: पुराने मुद्दों को फिर से क्यों उछाला गया?
इसके बावजूद सवाल है कि अचानक भाजपा क्यों इतनी आक्रामक हो गई है? राहुल गांधी आखिरी बार सितंबर में अमेरिका गए थे यानी तीन महीने पहले। जिन मुलाकातों की बात हो रही है वो तीन महीने या उससे भी पहले हुई हैं और तब भी इन पर सवाल उठा। राहुल गांधी पर आरोप है कि उनकी भारत जोड़ो यात्रा में जॉर्ज सोरोस से फंडिंग पाने वाली संस्था ने चंदा दिया। लेकिन भारत जोड़ो यात्रा भी दो साल पुरानी बात है और तब भी सोरोस से जुड़ी संस्था से चंदा लेने की बात उठी थी।
इसी तरह राहुल गांधी को जिस ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट यानी ओसीसीआरपी की रिपोर्ट उठाने के लिए कठघरे में खड़ा किया जा रहा है उसने पेगासस का मुद्दा उठाया था, जो तीन साल पहले का मामला है और अडानी समूह के शेयर बाजार में गड़बड़ी का मामला भी उसने 2023 में उठाया था। सोनिया गांधी पर आरोप लगा है कि वे फोरम ऑफ डेमोक्रेटिक लीडर्स इन एशिया पैसिफिक की सह अध्यक्ष हैं। यह संस्था कश्मीर को भारत से अलग करने की बात करती है। लेकिन यह भी कोई नया मामला नहीं है।
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तभी सोचें, भाजपा किस बात को लेकर इतनी परेशान है कि उसने गड़े मुर्दे उखाड़ कर सोनिया और राहुल गांधी की साख बिगाड़ने का इतना आक्रामक अभियान शुरू किया है। इसका एक कारण तो यह है कि राहुल गांधी पहली बार लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बने हैं और पार्टी की ताकत बढ़ी है। वे बढ़ी हुई ताकत के दम पर सरकार को परेशान करें उससे पहले उनकी साख बिगाड़ कर उनको गद्दार और देशविरोधी ठहराया जाए। Parliament winter session
दूसरा कारण यह है कि विपक्ष में फूट पड़ने के बावजूद कांग्रेस अडानी का मुद्दा नहीं छोड़ रही है। अगर उसको दूसरे बड़े मुद्दे में उलझाया जाए तो अडानी मुद्दे से ध्यान हटेगा। यह भी संभव है कि प्रियंका गांधी वाड्रा के संसद में पहुंचने की वजह से भाजपा को ऐसी आक्रामक रणनीति अपनानी पड़ी हो। जो हो, अगर इन मामलों में कोई तथ्य है तो सरकार को पहले मुकदमा दर्ज करना चाहिए। संसद कानून बनाने की जगह है, व्हाट्सऐप में चलने वाली चर्चाओं पर बहस की जगह नहीं है।