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तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की हकीकत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रगति मैदान में नए कन्वेंशन सेंटर का उद्घाटन करते हुए कहा कि उनके तीसरे कार्यकाल में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा। उन्होंने कहा कि यह उनकी गारंटी है। मीडिया में इसे मोदी की गारंटी के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है। लेकिन असल में यह कई गारंटी नहीं है, बल्कि एक सीधा सा गणित है, जिसके तहत भारत 2027 में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा। देश की गद्दी पर रामलाल जी हो या श्यामलाल जी उससे कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। आखिर पिछले तीन साल तक भारत की अर्थव्यवस्था का भट्ठा बैठे रहने के बावजूद भारत ब्रिटेन को पीछे छोड़ कर पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन ही गया। अगर अर्थव्यवस्था सुस्त नहीं होती तो भारत 2022 में ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया होता।

असल में भारत की अर्थव्यवस्था को गति देने का काम 2004 से 2014 के बीच हुआ। 2004 में जब अटल बिहारी वाजपेयी हटे और भारत की जीडीपी 722 अरब डॉलर की थी, जो 2014 में बढ़ कर 2,039 अरब डॉलर की हो गई। यानी 10 साल में तीन गुना बढ़ोतरी हुई। इसके बाद 2014 में रफ्तार ठीक रही पर 2016 के अंत में हुई नोटबंदी और उसके बाद कोरोना की वजह से अर्थव्यवस्था बुरी तरह से सुस्त हो गई। इसके बावजूद 2023 में जीडीपी 3,737 अरब डॉलर की हो गई। इसमें 84 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, इससे पहले मनमोहन सिंह के समय 183 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। अब अगले चार साल जीडीपी 38 फीसदी बढ़ेगी, जिसका अनुमान है और फिर भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

इसलिए यह गारंटी नहीं, बल्कि गणित है। परंतु जीडीपी के आकार से देश की असली तस्वीर जाहिर नहीं होती है। असली तस्वीर प्रति व्यक्ति आय से जाहिर होती है, जिसमें भारत शीर्ष 10 देशों में नहीं है। भारत की प्रति व्यक्ति आय 26 सौ डॉलर है, जबकि भारत ने जिस ब्रिटेन को अभी पीछे छोड़ा है वहां प्रति व्यक्ति आय 47हजार डॉलर है। यानी भारत से करीब 20 गुना ज्यादा। इटली की प्रति व्यक्ति आय 37 हजार डॉलर और ब्राजील जैसे दक्षिण अमेरिकी देश की प्रति व्यक्ति आय 10 हजार डॉलर यानी भारत से चार गुना है।

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