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उद्धव और पवार का साझा दबाव

महाराष्ट्र में कांग्रेस के सामने थोड़ी ज्यादा समस्या इस वजह से है कि उसकी दोनों सहयोगी पार्टियों के बीच संबंध बहुत अच्छे हैं और दोनों मिल कर दांव खेल रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस अलग थलग पड़ रही है। इस बात को खुद उद्धव ठाकरे ने स्वीकार किया है। इस महीने जब वे दिल्ली आए और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की बैठक में शामिल हुए तो वे पत्रकारों से भी मिले थे। उनकी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने अपने घर पर रात्रिभोज का आयोजन किया था, जिसमें दिल्ली के पत्रकारों को बुलाया गया था और उद्धव ठाकरे ने उनसे बात की थी। उद्धव ने खुल कर बात की, जिससे पत्रकार काफी प्रभावित भी हुए।

बहरहाल, महाराष्ट्र में तालमेल के सवाल पर उन्होंने कहा कि शरद पवार की पार्टी के साथ उनका परफेक्ट अलायंस है लेकिन कांग्रेस के साथ अभी तालमेल नहीं बना है। उद्धव ठाकरे ने यह भी कहा कि उनको पता ही नहीं है कि महाराष्ट्र में सीटों के बारे में किससे बात करनी है। इसका साफ मतलब है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले के साथ वे बातचीत करना नहीं चाहते हैं। नाना पटोले से शरद पवार को भी समस्या है। लेकिन कांग्रेस अभी तुरंत उनको हटाने नहीं जा रही है। वे पिछड़ी जाति से आते हैं और मजबूत आधार वाले नेता हैं। कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर अलायंस की एक कमेटी बनाई है। लेकिन वह राज्यवार बात करेगी या नहीं यह तय नहीं है। सो, कांग्रेस को इस बात को समझते हुए महाराष्ट्र में भी तालमेल के लिए एक कमेटी बनानी होगी ताकि उद्धव ठाकरे और शरद पवार के साझा दबाव का सामना किया जा सकेगा। दोनों प्रादेशिक पार्टियां कांग्रेस को कम से कम सीट देकर काम चलाने के प्रयास में हैं।

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