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शरद पवार की राजनीति पर सबकी नजर

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जब से अजित पवार अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार के साथ Sharad Pawar के घर गए और उनके जन्मदिन के कार्यक्रम में शामिल हुए उस दिन से सबकी नजर Sharad Pawar की राजनीति पर है। गौरतलब है कि अजित पवार ने कहा था कि वे अपने चाचा के 84वें जन्मदिन में जाएंगे लेकिन उनकी पत्नी नहीं जाएंगी। बाद में दोनों पहुंचे और परिवार के साथ मिल कर शरद पवार का जन्मदिन मनाया। उसके बाद से ही दोनों तरफ सद्भाव बनने की चर्चा है। बताया जा रहा है कि शरद पवार मान रहे हैं कि पांच साल बाद वे नेतृत्व करने की स्थिति में शायद नहीं रहें इसलिए वे अभी से अपनी बेटी सुप्रिया सुले और परिवार के उन सभी लोगों का राजनीतिक भविष्य सुरक्षित करना चाहते हैं, जो विभाजन के समय उनके साथ रहे और अजित पवार से लड़े।

इसका एक रास्ता तो यह है कि शरद पवार अपनी पार्टी का विलय अजित पवार की पार्टी यानी असली एनसीपी में कर दें। वे खुद उसके संरक्षक बने रहें और सुप्रिया सुले को संसदीय राजनीति का जिम्मा मिल जाए। कहा जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी इस फॉर्मूले पर काम कर रही है।

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उसको लग रहा है कि अजित पवार के नेतृत्व में शरद पवार की पार्टी आने से आठ लोकसभा सांसद बैठे बैठे मिल जाएंगे, जिससे एनडीए लोकसभा में एनडीए का बहुमत बढ़ कर तीन सौ के पार हो जाएगा।

ऐसा होता है तो सुप्रिया सुले के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता स्थायी तौर पर बंद हो जाएगा। शरद पवार के पास एक रास्ता कांग्रेस में अपनी पार्टी के विलय का है। ऐसे में कांग्रेस मजबूत होगी और उसके सांसदों की संख्या बढ़ कर 107 हो जाएगी। महाराष्ट्र में भी वह एक मजबूत पार्टी बनेगी। उसमें सुप्रिया के लिए सांसद बनने और राजनीति करने का रास्ता बना रहेगा लेकिन मुख्यमंत्री बनना नामुमकिन की हद तक मुश्किल होगा। पार्टी का स्वतंत्र अस्तित्व बनाए रख कर राजनीति करना ज्यादा मुश्किल काम है।

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