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सूत न कपास और एमवीए में मारामारी

maharashtra politics

maharashtra politics : महाराष्ट्र में राज्य सरकार इस बात के लिए तैयार नहीं हुई है कि किसी पार्टी को मुख्य विपक्षी पार्टी के दर्जा मिलेगा और उसके विधायक दल का नेता सदन में नेता प्रतिपक्ष बनेगा।

लेकिन उससे पहले ही राज्य के विपक्षी गठबंधन यानी महाविकास अघाड़ी में खींचतान शुरू हो गई है। यानी गांव अभी बसा नहीं है और मांगने वाले पहुंच गए!

राज्य विधानसभा की स्थिति ऐसी है कि 288 सदस्यों के सदन में विपक्षी गठबंधन के कुल 46 विधायक हैं (maharashtra politics) लेकिन नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए 29 सीट की संख्या किसी के पास नहीं है।

ऐसे में यह पूरी तरह से राज्य सरकार का विशेषाधिकार है कि वह किसी पार्टी को नेता प्रतिपक्ष का पद देती है या नहीं। ध्यान कम सीट के बावजूद किसी पार्टी को मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा देने की मिसाल तो है लेकिन एक पार्टी की बजाय तीन पार्टियों के गठबंधन को मुख्य विपक्षी पार्टी बनाने की मिसाल नहीं है।

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गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी शिव सेना (maharashtra politics)

तभी महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पद के लिए महाविकास अघाड़ी की पार्टियों में खींचतान के पीछे कोई तर्क समझ में नहीं आ रहा है। (maharashtra politics) गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी उद्धव ठाकरे की शिव सेना है, जिसके 20 विधायक हैं।

उसने नेता प्रतिपक्ष पद पर दावा किया। अगर विपक्ष को यह पद मिलता है तो उसमें सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते उसका दावा भी बनता है। ऊपर से अभी उद्धव ठाकरे की पार्टी ने मुख्यमंत्री के साथ सद्भाव बनाया है तो उसके नेता उम्मीद कर रहे हैं कि उनको मौका मिल सकता है।

लेकिन इसी बीच 10 विधायकों वाली शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने भी नेता प्रतिपक्ष पद की मांग कर दी। (maharashtra politics)शरद पवार की पार्टी के नेता जितेंद्र अव्हाड ने नेता विपक्ष का पद बारी बारी से महाविकास अघाड़ी की तीनों पार्टियों को मिलना चाहिए।

वे मान रहे हैं कि उद्धव ठाकरे की शिव सेना को अगर नेता प्रतिपक्ष का पद मिलता है तो वह गठबंधन की वजह से मिलेगा, जबकि ऐसा नहीं है। बहरहाल, शरद पवार की पार्टी के पद मांगने के बाद कांग्रेस क्यों पीछे रहती। उसके 16 विधायक हैं। सो, उसको भी नेता प्रतिपक्ष का पद चाहिए।

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