Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

एकनाथ शिंदे की चिंता खत्म नहीं हो रही

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिव सेना तोड़ कर भाजपा की मदद से मुख्यमंत्री तो बन गए लेकिन उनको समझ में नहीं आ रहा है कि आगे राजनीति कैसे करें। इससे पहले शिंदे ने कभी बड़े पैमाने पर राजनीति नहीं की थी। वे सिर्फ ठाणे के नेता थे। उनको अपनी विधानसभा और बेटे की लोकसभा सीट की समझ और जानकारी थी। लेकिन अब पूरे प्रदेश की राजनीति करनी है लेकिन ऐसा लग रहा है कि राजनीति की कमान भाजपा ने अपने हाथ में रखी है। वह शिंदे को जरा भी ढील नहीं दे रही है। हालांकि इसके बावजूद शिंदे मुख्यमंत्री बन कर खुश थे और किसी बात की परवाह नहीं कर रहे थे। पर अजित पवार के आने के बाद उनकी चिंता बढ़ी और अब भाजपा ने उनके असर वाले एकमात्र इलाके यानी ठाणे पर अपनी नजर गड़ा दी है।

खबर है कि भाजपा ने अपने बड़े नेता विनय सहस्त्रबुद्धे को ठाणे में काम करने के लिए कहा है। वे एक तरह से प्रभारी की तरह वहां काम कर रहे हैं। यह सीट दशकों से शिव सेना जीतती रही है। सिर्फ एक बार 2009 में एनसीपी ने यह सीट जीती थी। एनसीपी के संजीव नाईक इस सीट से जीते थे। अब वे शरद पवार से अलग होकर अजित पवार खेमे में चले गए हैं और इस तरह भाजपा गठबंधन का हिस्सा हैं। तभी शिंदे को चिंता सता रही है कि संजीव नाईक दावेदार हो सकते हैं। उनको यह भी चिंता है कि अगर एनसीपी की ओर से दावेदारी होती है तो बीच का रास्ता निकालने के लिए भाजपा अपनी दावेदारी आगे कर सकती है। अगर वह सीट शिंदे के लिए छोड़ी जाती है तो उसके बदले में उनको बहुत ज्यादा समझौता करना पड़ सकता है। तभी शिंदे खेमा चिंता में है। उनको समझ में नहीं आ रहा है कि भाजपा इतने बड़े नेता को ठाणे में क्यों सक्रिय किया है।

Exit mobile version