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महाराष्ट्र में कुर्सी का दिलचस्प किस्सा

महाराष्ट्र में पांचवें चरण में 13 सीटों पर मतदान के साथ ही चुनाव की प्रक्रिया संपन्न हो गई। वहां की सभी 48 सीटों पर मतदान हो गया। पांचवें चरण में मुंबई महानगर क्षेत्र की ज्यादातर सीटों पर मतदान हुआ। इससे पहले मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर जबरदस्त किस्सेबाजी हुई। शिव सेना के नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने एक किस्सा सुनाया तो एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने भी एक किस्सा सुनाया और एनसीपी के अजित पवार गुट में चले गए ओबीसी नेता छगन भुजबल ने भी एक किस्सा सुनाया। ये सारी किस्सेबाजी पांचवें चरण के मतदान से ठीक एक दिन पहले हुई।

शिव सेना के संजय राउत ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को निशाना बनाया और कहा कि आज वे जिन लोगों के साथ सरकार में उनमें से ज्यादातर ने 2019 में उनके नाम का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि जब 2019 में एकीकृत शिव सेना ने भाजपा से नाता तोड़ा और कांग्रेस व एनसीपी के साथ मिल कर सरकार बनाने का फैसला किया तो उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद के लिए पहला नाम एकनाथ शिंदे का ही दिया था। राउत का कहना है कि उस समय एकीकृत एनसीपी के नेताओं ने शिंदे का विरोध किया। अजित पवार, दिलीप वल्से पाटिल और सुनील तटकरे तीनों ने विरोध किया था, जिसके बाद उद्धव ठाकरे खुद सीएम बने। अब ये तीनों शिंदे की सरकार में हैं।

उधर शरद पवार और छगन भुजबल ने भी सीएम पद को लेकर किस्सा सुनाया। भुजबल ने कहा कि 2004 में एनसीपी का मुख्यमंत्री बन सकता था क्योंकि एनसीपी को कांग्रेस से दो सीटें ज्यादा थीं। यह बात कुछ समय पहले अजित पवार ने भी कही थी और शरद पवार के इस फैसले पर सवाल उठाया था कि उन्होंने कांग्रेस का सीएम बनने दिया था। अजित पवार ने कहा था कि वे उसी समय मुख्यमंत्री बन गए होते। अब भुजबल ने कहा है कि उस समय कांग्रेस के तमाम बड़े नेता उनको मुख्यमंत्री बनाने के लिए तैयार हो गए थे। इस पर शरद पवार का कहना है कि अगर वे 2004 में छगन भुजबल को मुख्यमंत्री बनाते तो पार्टी उसी समय टूट जाती।

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