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नवंबर के दूसरे हफ्ते में चुनाव होगा

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महाराष्ट्र में नवंबर के दूसरे हफ्ते में विधानसभा का चुनाव होगा। ऐसा राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कह दिया है तो यह मानने में कोई समस्या नहीं है कि चुनाव उसी समय होगा। परंतु क्या झारखंड का विधानसभा चुनाव भी उसके साथ ही होगा या उसमें एक महीने की और देरी होगी? यह बड़ा सवाल है। यह सस्पेंस खुद मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने पैदा कर दिया है।

उनके नेतृत्व में चुनाव आयोग की टीम सोमवार को झारखंड के दौरे पर गई थी। वहां राजीव कुमार ने कह दिया कि राज्य में समय पर चुनाव होगा। समय पर चुनाव होने का क्या मतलब है यह बहुत अस्पष्ट है। समय तो हो गया है। चुनाव में छह महीने रह जाते हैं तो गेंद आयोग के पाले में चली जाती है और उसके बाद जब भी चुनाव होता है तो वह समय पर ही कहा जाता है।

इस लिहाज से तो समय पर चुनाव का मतलब है कि महाराष्ट्र के साथ नवंबर के दूसरे हफ्ते में झारखंड में भी चुनाव हो जाए। ध्यान रहे महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 25 नवंबर को खत्म हो रहा है। सो, वहां उससे पहले विधानसभा का गठन जरूरी है। लेकिन झारखंड में सस्पेंस इसलिए है क्योंकि वहां की विधानसभा का कार्यकाल पांच जनवरी 2025 तक है। दूसरे, अगर समय पर चुनाव होने को शाब्दिक अर्थों में लिया जाए तो झारखंड का चुनाव पिछली बार यानी 2019 में 30 नवंबर से 20 दिसंबर के बीच पांच चरणों में हुआ था। तो समय पर चुनाव होने का शाब्दिक अर्थ यह हो सकता है कि दिसंबर में चुनाव हो। लेकिन अगर चुनाव आयोग ऐसा कुछ भी करता है तो उसकी साख पर बड़ा सवाल उठेगा। एक देश, एक चुनाव के लिए अपने को तैयार बता रहा आयोग अगर दो राज्यों के चुनाव एक साथ नहीं करा पाए तो क्या कहा जाएगा!

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