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कश्मीर में केजरीवाल का बड़बोलापन

अरविंद केजरीवाल हर मौके को बड़ा बना देने का हुनर जानते हैं। वे किसी भी छोटी घटना को बहुत बड़ा बना सकता हैं और किसी भी घटना का अधिकतम लाभ लेने के प्रयास कर सकते हैं। तभी जम्मू कश्मीर की डोडा सीट पर उनकी पार्टी से मेहराज मलिक चुनाव जीते तो केजरीवाल ने इसे बहुत बड़ा मुद्दा बना दिया। वे कश्मीर पहुंच गए धन्यवाद रैली करने। हकीकत यह है कि मेहराज मलिक की जीत में आम आदमी पार्टी का कोई हाथ नहीं है। उनके प्रचार में आप का कोई नेता नहीं गया था। केजरीवाल भी नहीं गए थे। मलिक एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और उन्होंने आम लोगों के मुद्दे उठा कर कई आंदोलन किए हैं। वे 2014 का विधानसभा चुनाव निर्दलीय लड़े थे और 2020 में डोडा डिस्ट्रिक्ट काउंसिल का चुनाव भी निर्दलीय लड़े थे। वे अपने दम पर लड़े और जीत गए तो केजरीवाल वहां क्रेडिट लेने पहुंच गए।

एक हकीकत यह है कि केजरीवाल की पार्टी ने कश्मीर में सात सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें एक सीट पर मेहराज मलिक जीते और बाकी छह सीटों पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों को नोटा से भी कम वोट मिले। जमानत तो जब्त हुई कि लेकिन हर सीट पर नोटा से भी कम वोट मिलना कितना शर्मिंदगी वाला होता है यह बात हर नेता जानता हैं। परंतु केजरीवाल को इससे फर्क नहीं पड़ता है। दूसरा बड़बोलापन उन्होंने वहां जाकर यह किया कि भावी मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को कहा कि केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को भी दिल्ली जैसा राज्य बना दिया है इसलिए अगर उमर को सरकार चलाने में दिक्कत आती है तो वे उनसे संपर्क कर सकते हैं क्योंकि वे दिल्ली चलाना जानते हैं। सोचें, दिल्ली में तो हर दिन केजरीवाल कहते रहते हैं कि उप राज्यपाल दिल्ली चलाने नहीं दे रहे हैं और वहां जाकर कह रहे थे कि वे दिल्ली चलाना जानते हैं! हकीकत यह है कि दिल्ली में उनकी सरकार कोई काम नहीं करती है और लोग पूछते हैं तो कह देते हैं कि उप राज्यपाल काम नहीं करने देते हैं। लेकिन कश्मीर में जाकर उमर अब्दुल्ला को सिखाएंगे कि उप राज्यपाल के शासन में कैसे राज्य चलाएं! यह काम भी सिर्फ केजरीवाल ही कर सकते हैं।

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