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साझा घोषणापत्र नहीं होने का नुकसान

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विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडिया’ का कोई साझा घोषणापत्र नहीं बना है। सभी पार्टियां अपनी अपनी घोषणाएं कर रही हैं। कांग्रेस पार्टी ने न्याय पत्र के नाम से अपना घोषणापत्र जारी किया तो बिहार में राष्ट्रीय जनता दल ने परिवर्तन पत्र नाम से जारी किया है। तमिलनाडु में डीएमके ने अलग घोषणापत्र जारी किया है। इसके उलट एनडीए में सिर्फ एक घोषणापत्र जारी हुआ है और वह भाजपा का है।

गठबंधन की बाकी पार्टियों को कह दिया गया था कि एक ही घोषणापत्र होगा, जिस पर सबको चुनाव लड़ना है। क्योंकि वहां सबको पता है कि नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने के लिए वे चुनाव लड़ रहे। कांग्रेस और उसके गठबंधन में कोई भी पार्टी कांग्रेस के नेतृत्व में सरकार बनाने या राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने का लिए नहीं लड़ रही है। सब अपनी अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं। तभी सारी पार्टियां अलग अलग घोषणापत्र ला रही हैं और सबसे हैरानी की बात है कि प्रादेशिक पार्टियां ऐसी अनोखी घोषणाएं कर रही हैं, जिनके बारे में भाजपा और कांग्रेस ने भी हाथ खींच लिए और चुप्पी साध ली।

सबसे बड़ी मिसाल बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की घोषणाएं हैं। राजद में जिसने भी घोषणापत्र बनाया उसके दिमाग में सिर्फ एक बात थी कि इतनी बड़ी घोषणा करनी है, जितनी आज तक किसी ने नहीं की है। राजद ने कम से कम तीन ऐसी घोषणाएं की हैं, जो कांग्रेस के घोषणापत्र में भी नहीं है। राजद ने कहा है कि उसकी सरकार बनेगी तो वह हर गरीब महिला को हर साल एक एक लाख रुपया देगी। सोचें, दिल्ली में जहां सरप्लस बजट होता है यानी सरकार की कमाई ज्यादा और खर्च कम है वहां मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हर वयस्क महिला को महीने में एक एक हजार रुपए यानी साल में 12 हजार रुपए देने का वादा किया है। मध्य प्रदेश में लाड़ली बहना योजना के तहत हर महिला को महीने में साढ़े 12 सौ यानी साल में साढ़े 14 हजार रुपए मिलेंगे। पर बिहार में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद ने हर साल एक लाख रुपया यानी महीने में साढ़े आठ हजार के करीब देने का वादा किया है।

सोचें, बिहार का कुल बजट ढाई लाख करोड़ रुपए से कुछ ज्यादा है। पिछले दिनों बिहार में जाति गणना के आंकड़ों से पता चलता है कि करीब एक करोड़ परिवारों की मासिक आय छह हजार रुपए से कम है। यानी पांच लोगों का परिवार है तो हर व्यक्ति हर महीने 12 सौ रुपए से कम कमाता है। अगर ऐसे परिवारों की एक एक महिला को भी एक एक लाख रुपए दिए गए तो हर साल एक लाख करोड़ रुपए की जरुरत होगी।

इसी तरह कांग्रेस के घोषणापत्र में केंद्र सरकार के 30 लाख खाली पदों को भरने की बात कही गई है, लेकिन बिहार में राजद ने इस 30 लाख के अलावा 70 लाख और नौकरी सृजित करने यानी केंद्र सरकार में एक करोड़ नौकरी देने का वादा किया। इसी तरह पुरानी पेंशन योजना बहाल करने के मामले में कांग्रेस पीछे हट गई पर राष्ट्रीय जनता दल ने कहा है कि उसकी सरकार बनी तो वह पुरानी पेंशन योजना बहाल करेगी। इसी तरह राजद के घोषणापत्र में रेलवे की नौकरियां भी दोगुनी करने का अलग से वादा किया गया है और बिहार में एक लाख 60 हजार करोड़ रुपए का विशेष पैकेज दिया जाएगा। अब कांग्रेस के नेता सोच रहे हैं कि इन वादों पर उनका क्या जवाब होगा।

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