Maharashtra में भारतीय जनता पार्टी दोनों सहयोगी पार्टियों को कोई खास महत्व नहीं दे रही है। पहले भाजपा ने मुख्यमंत्री बनने के एकनाथ शिंदे के दावे को खारिज किया। उसके बाद उप मुख्यमंत्री के तौर पर गृह मंत्रालय लेने की उनकी जिद को ठुकराया और अब विधान परिषद में सभापति पद के दावे को भी खारिज कर दिया है। भाजपा के राम शिंदे ने सभापति पद के लिए नामांकन भरा है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधान परिषद में सभापति का पद काफी समय से खाली है। शिव सेना टूटने के समय ही सभापति का पद खाली था और उसके बाद इसे भरा नहीं गया। एकनाथ शिंदे गुट की नीलम गोरे उप सभापति हैं। शिंदे गुट उनको सभापति बनाना चाहता था। लेकिन भाजपा ने मना कर दिया है।
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गौरतलब है कि मुख्यमंत्री के लिए देवेंद्र फड़नवीस का नाम तय होने के साथ ही यह भी तय हो गया कि शिव सेना से भाजपा में गए राहुल नार्वेकर विधानसभा के स्पीकर होंगे। उसके बाद दोनों सहयोगी पार्टियों की नजर विधान परिषद पर थी। लेकिन भाजपा ने वहां भी अपना सभापति बनाने का फैसला किया है। अब कहा जा रहा है कि राज्य सरकार विपक्षी पार्टी को उपाध्यक्ष या उप सभापति का पद देने की परंपरा का पालन नहीं करेगी।
संभव है कि एकनाथ शिंदे और अजित पवार को उपाध्यक्ष और उप सभापति का पद मिल जाए। असल में भाजपा को पता है कि Maharashtra में प्रादेशिक पार्टियों के एक रहने की गारंटी कोई नहीं कर सकता है। वहां सिर्फ एक बात तय है कि भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे के साथ नहीं जाएंगे। बाकी कोई भी किसी के साथ जा सकता है। तभी भाजपा दोनों सदनों में पीठासीन अधिकारी के पद पर अपने ही नेताओं को बैठा रही है।