उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होंगे। राज्य के नौ विधायक इस बार के लोकसभा चुनाव में जीत कर सांसद हो गए हैं। इसकी वजह से नौ सीटें खाली हुई हैं। एक सीट कानपुर के सीसामऊ की है, जहां के सपा विधायक इरफान सोलंकी को अदालत से सजा हो गई है। इन 10 सीटों पर उपचुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है। जानकार सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हटाने की जिस योजना की चर्चा हो रही है उसमें इन 10 सीटों के चुनाव का बड़ा हाथ होगा। ये 10 सीटें मुख्यमंत्री के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई है। हालांकि इन 10 में से भाजपा की सीटें सिर्फ तीन हैं और समाजवादी पार्टी की पांच हैं लेकिन योगी आदित्यनाथ के ऊपर दबाव होगा कि वे ज्यादा से ज्यादा सीटें जिताएं। हाल में सात राज्यों में हुए 13 सीटों के उपचुनाव में एनडीए सिर्फ दो सीट जीत पाया। इसका दबाव भी होगा।
इस बीच भाजपा की सहयोगी पार्टियों का अलग दबाव है। खाली हुई सीटों में से एक मंझवा सीट 2022 में निषाद पार्टी ने जीती थी। इसलिए वह इस सीट की मांग कर रही है। एक सीट राष्ट्रीय लोकदल की है लेकिन कहा जा रहा है कि जयंत चौधरी तीन सीटों की मांग कर रहे हैं। सो, पहले सहयोगी पार्टियों से सीट बंटवारा करना होगा और उसके बाद ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतनी होंगी। अगर उपचुनाव में भाजपा का प्रदर्शन खराब रहा तो सचमुच योगी की कुर्सी के लिए खतरा पैदा हो जाएगा। हालांकि उनको हटाए जाने की चर्चा के साथ साथ ही उनका खेमा भी सक्रिय हो गया है। सोशल मीडिया में खुल कर कहा जा रहा है कि अगर 71 सीट और 62 सीट जीतने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया गया तो 33 सीट जीतने का ठीकरा भी उनके सर फूटना चाहिए। यह भी कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी खुद भी उत्तर प्रदेश के सांसद हैं और उनके क्षेत्र के आसपास की ज्यादातर सीटों पर भाजपा हार गई है, जबकि योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र गोरखपुर के आसपास की सारी सीटें भाजपा जीती है।