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अकाली-भाजपा साथ नहीं हुए तो क्या होगा?

पंजाब की राजनीति में स्पष्टता नहीं आ रही है। पिछले दिनों अकाली दल के नेता सुखबीर बादल की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात हुई थी और तब यह चर्चा शुरू हुई थी कि दोनों पार्टियों में तालमेल हो सकता है। हालांकि वह मुलाकात कनाडा में खालिस्तानी अलागवादियों के खिलाफ कार्रवाई, हरदीप सिंह निज्जर की हत्या और कनाडा से कूटनीतिक संबंधों में आए तनाव को लेकर थी। इस मुलाकात से पहले से ही माना जा रहा था कि कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में आए कैप्टेन अमरिंदर सिंह और प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ सीटों के बारे में बात कर रहे हैं। लेकिन अब ऐसा लग रहा है बातचीत थम गई है और उसका कारण यह है कि भाजपा ज्यादा सीट मांग रही है। वह पांच से छह सीटों पर दावा कर रही है, दूसरी ओर अकाली दल तीन से चार सीट देने को राजी है।

अकाली दल के नेता नरेश गुजराल ने साफ किया है कि अविश्वास प्रस्ताव और महिला आरक्षण पर संसद के अंदर पार्टी की नेता हरसिमरत कौर बादल के भाषण से साफ हो गया है कि अकाली दल और भाजपा में तालमेल नहीं होगा। अगर ऐसा होता है तो पंजाब की राजनीति और उलझ जाएगी। जानकार सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों इस इंतजार में हैं कि अकाली-भाजपा की क्या राजनीति होती है। अगर उनमें तालमेल होता है तो आप और कांग्रेस को भी तालमेल करना होगा अन्यथा इन दोनों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। लेकिन अगर अकाली-भाजपा तालमेल नहीं करते हैं तो दोनों पार्टियां अलग अलग लड़ने का फैसला कर सकती हैं। तभी यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा और अकाली दल जान बूझकर अभी दूरी दिखा रहे हैं ताकि कांग्रेस और आप में तालमेल न हो।

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