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मोदी-शाह दोनों मिजोरम नहीं गए

मिजोरम में पांच नवंबर को चुनाव प्रचार बंद हो जाएगा। यानी तीन दिन का प्रचार और बचा है लेकिन न तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां प्रचार करने गए और न केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की कोई चुनावी रैली हुई है। भाजपा की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मिजोरम में चुनाव प्रचार किया है। उन्होंने बुधवार को एक रैली को संबोधित किया और दावा किया कि भाजपा की सरकार ने अलगाववाद खत्म किया है। अब सवाल है कि हर छोटे बड़े चुनाव के प्रचार में जाने वाले नेता और हर छोटी बड़ी जीत का श्रेय लेने वाले नेता मिजोरम में प्रचार करने क्यों नहीं गए?

यह सही है कि मिजोरम छोटा राज्य है और 40 सीटों वाली विधानसभा है फिर भी भाजपा जिस तरह से पूर्वोत्तर में अपना विस्तार कर रही है और वहां अलगाववाद खत्म करके शांति बहाल करने का दावा करती है उस लिहाज से यह चुनाव कम अहम नहीं है। क्या चुनाव नतीजों का अंदाजा पार्टी को हो गया इसलिए मोदी और शाह प्रचार के लिए नहीं गए? या इस बात की चिंता है कि मिजोरम जाएंगे तो मणिपुर के बारे में बोलना होगा, जहां पिछले छह महीने से  जातीय हिंसा चल रही है। थोड़े दिन की शांति के बाद फिर हिंसा शुरू हो गई है और राज्य में वापस कर्फ्यू लगाना पड़ा है।

ध्यान रहे प्रधानमंत्री मोदी ने मिजोरम जाने का कार्यक्रम था लेकिन मुख्यमंत्री जोरामथंगा ने ऐलान कर दिया कि वे प्रधानमंत्री के साथ मंच साझा नहीं करेंगे। वे चुनाव से पहले एनडीए से अलग भी हो गए। प्रधानमंत्री का दौरा रद्द होने के बाद अमित शाह के मिजोरम जाने की खबर आई थी लेकिन उनका भी कार्यक्रम नहीं बन पाया है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा का एक विधायक जीता था। इस बार पार्टी के लिए पहले से ज्यादा मुश्किल हो रही है। संभवतः इसी वजह से प्रधानमंत्री का कार्यक्रम रद्द हुआ।

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