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चुनावी साल में विनिवेश स्थगित रहा

चाहें तो राहुल गांधी और दूसरे विपक्षी नेता इस बात का श्रेय ले सकते हैं कि उनके दबाव में केंद्र सरकार ने सरकारी संपत्तियों को बेचने का काम स्थगित कर दिया है। हालांकि असल में चुनावी साल की वजह से केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 में सरकारी संपत्तियों की बिक्री स्थगित रखी। सरकार ने पिछले साल बजट पेश करते हुए इस वित्त वर्ष में 51 हजार करोड़ रुपए विनिवेश से यानी सरकारी संपत्तियों की बिक्री से हासिल करने का लक्ष्य तय किया गया। लेकिन अब एक ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से सरकार को सिर्फ 15 हजार करोड़ रुपए ही मिले हैं।

इसका मतलब है कि सरकार अपने लक्ष्य का 33 फीसदी भी हासिल नहीं कर पाई है। हालांकि पहले भी विनिवेश का लक्ष्य सौ फीसदी पूरा नही होता था लेकिन इस बार सरकार लक्ष्य से बहुत पीछे है। अब नए साल का अंतरिम बजट आना है। सत्र की घोषणा हो गई है और जल्दी ही लोकसभा चुनाव की भी घोषणा होनी है। इसलिए माना जा रहा है कि अब शायद ही विनिवेश से जुड़ा कोई फैसला होगा। भारत सरकार एलआईसी के स्वामित्व वाले आईडीबीआई बैंक को बेचना था लेकिन यह काम चुनाव से पहले नहीं हो पाएगा। बहरहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार अगले वित्त वर्ष के लिए क्या लक्ष्य तय करती है।

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