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राज्यों में आप के लड़ने का पेंच

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच सद्भाव बन गया है। केंद्र सरकार के अध्यादेश का विरोध करने के कांग्रेस के फैसले के बाद आम आदमी पार्टी के नेता खुश हैं। अरविंद केजरीवाल अपने नेताओं को लेकर बेंगलुरू पहुंचे और विपक्षी नेताओं की बैठक में शामिल हुए। उनको विपक्षी नेताओं की बैठक में महत्वपूर्ण जगह पर बैठाया गया। उन्होंने अध्यादेश पर कांग्रेस की राय बनवाने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का आभार भी जताया। तभी सवाल है कि अब आगे क्या? लोकसभा का चुनाव तो अगले साल है, जिसके लिए विपक्षी पार्टियां अपनी तैयारी कर रही हैं। उस समय के लिए सीट बंटवारे की बात बाद में होगी। पहले राज्यों के चुनाव हैं, जहां कांग्रेस को भाजपा का सीधा मुकाबला करना है और आम आदमी पार्टी वहां लड़ने की तैयारी कर रही है।

साल के अंत में राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव हैं। इनमें से तेलंगाना और मिजोरम को छोड़ कर तीनों राज्यों में कांग्रेस और भाजपा का सीधा मुकाबला है और तीनों राज्यों में आम आदमी पार्टी पूरी ताकत से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। अरविंद केजरीवाल अपने साथी मुख्यमंत्री भगवंत मान को लेकर इन राज्यों में रैली कर चुके हैं। उनके चुनाव रणनीतिकार संदीप पाठक तीनों राज्यों में तैयारी कर रहे हैं। हालांकि उनको अंदाजा है कि उनकी पार्टी की स्थिति कर्नाटक जैसी ही रहने वाली है। तीनों राज्यों में दो-दो फीसदी वोट भी मिल जाए तो बहुत होगा। लेकिन तीनों राज्यों में कुछ कुछ सीटों पर पार्टी कांग्रेस को जरूरत नुकसान पहुंचा सकती है। दूसरे, अगर अरविंद केजरीवाल अपनी सभाओं में कांग्रेस पर हमला करते हैं और उसे भाजपा के जैसा बताते हैं तो धारणा के स्तर पर कांग्रेस को नुकसान होगा। भाजपा को विपक्षी गठबंधन पर सवाल उठाने का मौका मिलेगा। इसलिए दोनों पार्टियों को इस बारे में कुछ फैसला करना होगा। कांग्रेस तालमेल नहीं करेगी तभी आप के पास एक रास्ता यह है कि वह हिमाचल प्रदेश या कर्नाटक की तरह औपचारिकता के लिए चुनाव लड़े।

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