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प्रदूषण रोकने के लिए बेसिर पैर के उपाय

दिल्ली सरकार वायु प्रदूषण रोकने के लिए कितनी अगंभीर हैं इसका अंदाजा पटाखों पर पाबंदी के नियमों को देख कर हो गया होगा। दिल्ली सरकार ने सितंबर में ही पटाखों पर पाबंदी का ऐलान कर दिया था लेकिन इसकी अधिसूचना जारी नहीं की थी। वह विजयादशमी बीतने का इंतजार कर रही थी ताकि उसमें रावण के पुतले जलाने में खूब सारे पटाखों का इस्तेमाल होने में कोई बाध नहीं आए। शनिवार, 12 अक्टूबर को दिल्ली में खूब पटाखे फूटे और दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक में चार गुना गिरावट आई। फिर इसके दो दिन बाद 14 अक्टूबर को दिल्ली सरकार ने पटाखों पर पाबंदी की अधिसूचना जारी कर दी। अब जबकि वायु गुणवत्ता बिगड़ के खराब श्रेणी में पहुंच गई है तो ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान यानी ग्रैप का पहला चरण लागू कर दिया गया है और वन व पर्यावरण मंत्री गोपाल राय घूम कर निर्माण गतिविधियों वाली साइट पर जुर्माना लगा रहे हैं।

यह सब दिखावा है, जिसका मकसद लोगों के साथ साथ न्याय़पालिका को यह मैसेज देना है कि राज्य सरकार कुछ कर रही है। हकीकत यह है कि राज्य सरकार को कुछ नहीं करना है। किसी तरह से दो ढाई महीने का समय काटना है। तभी ऑड ईवन लागू करने के उपाय पर भी चर्चा हो रही है और एक नया शिगूफा कन्जेशन टैक्स यानी गाड़ियों की भीड़ बढ़ने पर टैक्स लगाने के उपाय की चर्चा हो रही है। इसके तहत बाहर से गाड़ियों के प्रवेश पर या ज्यादा गाड़ियां होने पर टैक्स लगाने का प्रावधान होता है। हालांकि न्यूयॉर्क से लेकर लंदन तक ज्यादातर जगहों पर यह उपाय कारगर नहीं हुआ है। तभी ऐसा लग रहा है कि इस टैक्स की बात करने का मकसद भी लोगों की आंखों में धूल झोंकना है। असल में दिल्ली सरकार ने पूरे साल वायु प्रदूषण को लेकर कुछ नहीं किया है। इसलिए अब प्रदूषण का समय आया तो कुछ करते हुए दिखना चाह रही है।

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