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कांग्रेस क्षत्रपों की नई समस्या

congress rahul gandhi

congress rahul gandhi : कांग्रेस पार्टी की समस्याएं खत्म नहीं हो रही हैं। कई राज्यों में चुनाव हारने के बाद अब कांग्रेस के सामने उत्तर से दक्षिण तक अपने क्षत्रपों को संभालने की समस्या खड़ी हो गई है। एक एक करके प्रादेशिक क्षत्रप बागी हो रहे हैं। ऐसे नेता, जिनको कांग्रेस ने पिछले 20 साल में खुद ही बड़ा किया।

प्रदेशों में एक से ज्यादा क्षत्रप रखने की बजाय कांग्रेस ने सोनिया गांधी के नेतृत्व में हर राज्य में एक क्षत्रप को आगे बढ़ाने की रणनीति अपनाई। आज समस्या यह है कि वही क्षत्रप कांग्रेस के गले की हड्डी बने हुए हैं।

वे अपने हिसाब से राजनीति करना चाहते हैं, जबकि लोकसभा चुनाव में जीतने के बाद कांग्रेस आलाकमान लगाम अपने हाथ में लेने को आतुर हैं। मुश्किल यह है कि कांग्रेस आलाकमान का जोर किसी छोटे बड़े क्षत्रप पर नहीं चल रहा है। (congress rahul gandhi)

कांग्रेस की तात्कालिक समस्या तीन राज्यों के प्रादेशिक क्षत्रप हैं। कर्नाटक में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार की राजनीति ने कांग्रेस आलाकमान की नींद उड़ाई है। उधर केरल में शशि थरूर बागी हो गए हैं और हरियाणा में कांग्रेस भूपेंद्र सिंह हुड्डा को नहीं संभाल पा रही है।

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बीके हरिप्रसाद को हरियाणा का प्रभारी

विधानसभा चुनाव के पांच महीने बाद भी कांग्रेस विधायक दल का नेता नहीं चुन पाई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के कहने पर बीके हरिप्रसाद को हरियाणा का प्रभारी बनाया गया।(congress rahul gandhi)

प्रभारी बनने के बाद से वे पार्टी आलाकमान के हिसाब से विधायक दल का नेता चुनवाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन कामयाबी नहीं मिल पाई है।

हरियाणा में शुक्रवार, सात मार्च को विधानसभा का सत्र शुरू होने वाला था उससे पहले छह मार्च को कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई। उसमें ज्यादातर विधायकों ने हुड्डा को नेता बनाने की बात कही। (congress rahul gandhi)

दूसरी ओर बीके हरिप्रसाद पार्टी आलाकमान का यह संदेश लेकर बैठे थे कि किसी और को नेता चुना जाए। जब बात नहीं बनी तो प्रस्ताव पास हुआ कि फैसला पार्टी आलाकमान पर छोड़ दिया जाए।

ऐसा कभी नहीं होता था कि पार्टी आलाकमान के संदेश लेकर प्रभारी बैठे और नेता का चुनाव नहीं हो। अब अगर आलाकमान ने हुड्डा की बजाय किसी और को नेता चुना तो हरियाणा में संकट बढ़ेगा।

कर्नाटक में कांग्रेस में घमासान (congress rahul gandhi)

कर्नाटक में कांग्रेस के दोनों क्षत्रपों में घमासान मचा है। 2013 में जब राहुल गांधी अपनी चलती के चरम पर थे तब उन्होंने कर्नाटक में जनता दल ये आए सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बना दिया था।

दूसरी ओर डीके शिवकुमार कांग्रेस के पुराने क्षत्रप हैं। पिछले चुनाव में कहा जा रहा था कि यह समझौता हुआ कि दोनों ढाई ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री होंगे। (congress rahul gandhi)

अब सिद्धारमैया और उनके बेटे और उनके करीबियों ने इससे इनकार कर कहना शुरू कर दिया है कि ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ था और सिद्धारमैया पांच साल मुख्यमंत्री रहेंगे।

जवाब में डीके शिवकुमार भाजपा से नजदीकी दिखा रहे हैं। वे महाकुंभ में स्नान कर आए और महाशिवरात्रि के मौके पर जग्गी वासुदेव के कार्यक्रम में गए, जहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद थे।

इस बारे में विवाद हुआ तो शिवकुमार ने कहा कि उनकी हिंदू पहचान कभी नहीं मिट सकती है। उधर केरल में विधानसभा का चुनाव होना है और 10 साल बाद कांग्रेस सत्ता में वापसी करने की उम्मीद कर रही है तो तिरूवनंतपुरम के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर बागी हो गए हैं।

उन्होंने एक सर्वे के हवाले अपने को मुख्यमंत्री का दावेदार पेश करने का दबाव बनाया, जिससे कांग्रेस आलाकमान ने इनकार कर दिया तो वे भी बता रहे हैं कि उनके पास विकल्प की कमी नहीं है। (congress rahul gandhi)

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