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भाजपा भी कंफ्यूजन बना रही है

भाजपा

Patna, Oct 24 (ANI): Bihar Chief Minister Nitish Kumar addresses after the foundation stone laying of 2615 Panchayat Government Buildings and State Panchayat Resource Centre, in Patna on Thursday. (ANI Photo)

ऐसा नहीं है कि बिहार में सिर्फ कांग्रेस ने कंफ्यूजन बनाया है। भाजपा ने ज्यादा कंफ्यूजन बना दिया है। उसने एक अजीब राजनीतिक फॉर्मूला तैयार किया है, जिसका इस्तेमाल बिहार में भी किया जा रहा है। बिहार में बार बार कहा जा रहा है कि चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा लेकिन मुख्यमंत्री का फैसला चुनाव के बाद होगा। सवाल है कि जिसके नेतृत्व में विधानसभा का चुनाव लड़ा जाएगा वह चुनाव के बाद मुख्यमंत्री क्यों नहीं होगा? क्या जिसके नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा बिहार के लोग उसको स्वाभाविक रूप से मुख्यमंत्री का दावेदार नहीं मानेंगे?

भाजपा नेताओं का कहना है कि मानना है तो मानें लेकिन फैसला चुनाव के बाद होगा। यानी अगर एनडीए जीत जाता है तो नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। वैसे ही जैसे मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान नहीं बने और महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे को चुनाव के बाद नहीं बनने दिया गया।

मध्य प्रदेश का फैसला तो भाजपा का आंतरिक फैसला था लेकिन महाराष्ट्र के एकनाथ शिंदे की तरह बिहार में नीतीश की पार्टी इस स्थिति को स्वीकार करने को तैयार नहीं है। नीतीश की पार्टी नहीं नारा दिया है कि, ‘बिहार की बात हो तो नाम सिर्फ नीतीश कुमार हो’। अमित शाह ने ही सबसे पहले यह बात कही थी कि सीएम का फैसला चुनाव के बाद होगा।

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अब उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि नीतीश कुमार तो सीएम हैं हीं। इसके बाद नीतीश की पार्टी बम बम है। दूसरा कंफ्यूजन मुकेश सहनी को लेकर है। वे अभी ‘इंडिया’ ब्लॉक में हैं लेकिन भाजपा में उनको लाने की बात हो रही है। वो आते हैं तो सीटों का बंटवारा कैसे होगा यह किसी को समझ में नहीं आ रहा है। इससे भी जनता दल यू के नेता आशंकित हैं।

उनको लग रहा है कि जीतन राम मांझी, चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा के बाद एक और सहयोगी पार्टी लाकर भाजपा गठबंधन में नीतीश के महत्व को कम कर रही है। ये सारे सहयोगी अंत में भाजपा के प्रति निष्ठावान होंगे और जदयू अलग थलग पड़ेगी। शह मात के इस खेल में सबसे ज्यादा लाभ तेजस्वी यादव को होने की संभावना दिख रही है।

Pic Credit: ANI

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