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मोदी, नीतीश के नाम पर बिहार का चुनाव

चुनाव

भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बिहार यात्रा से सिर्फ इतना संदेश निकला कि भाजपा ने चुनाव का बिगुल बजा दिया है और इस बार का चुनाव भी उसको लालू और राबड़ी राज के मुकाबले नीतीश राज की तुलना पर लड़ना है। जनता दल यू के नेता जिस बात का इंतजार कर रहे थे वह बात अमित शाह ने नहीं कही। वे दो दिन में कई कार्यक्रमों में शामिल हुए और कई बैठकें कीं लेकिन कहीं भी यह नहीं कहा कि एनडीए को जीत मिली और सरकार बनी तो नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनेंगे।

जदयू नेता इस बात से खुश हैं कि अमित शाह ने बिहार के लोगों से कहा कि उनको फैसला करना है कि वे लालू और राबड़ी के जंगलराज की ओर लौटेंगे या मोदी और नीतीश के विकास के रास्ते पर बिहार को चलाना चाहते हैं। जदयू नेता इसकी यह व्याख्या कर रहे हैं कि शाह ने कह दिया कि केंद्र में मोदी और बिहार में नीतीश का राज रहेगा। हालांकि भाजपा के नेता चुप्पी साधे हुए हैं। गौरतलब है कि शाह ने बहुत पहले एक मीडिया समूह के कार्यक्रम में कह दिया था कि मुख्यमंत्री का फैसला चुनाव के बाद होगा। भाजपा उसी रास्ते पर चल रही है।

यह अलग बात है कि भाजपा के सारे नेता नीतीश की तारीफ करते रहेंगे। बिहार अमित शाह ने नीतीश कुमार के शासन में बिहार में हुए विकास का खूब जिक्र किया। उससे पहले शनिवार को दिल्ली में भाजपा ने बिहार दिवस का एक कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हुए थे। उस कार्यक्रम में नड्डा ने नीतीश कुमार की जम कर तारीफ की। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने बिहार को जंगलराज से निकाल कर विकास का रास्ता दिखाया।

नीतीश की तारीफ तो है, मगर नेतृत्व पर सवाल!

उससे भी पहले जब दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित किया तो उसमें उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री की तारीफ की। उन्होंने बिहार के विकास कार्यों का श्रेय नीतीश को दिया।

सवाल है कि जब सब नीतीश की तारीफ कर रहे हैं तो उनको नेता क्यों नहीं घोषित कर रहे हैं? इसका कारण नीतीश कुमार की मानसिक सेहत है। भाजपा नहीं चाहती है कि बिहार की जनता के बीच यह संदेश जाए कि एनडीए फिर से नीतीश को ही मुख्यमंत्री बनाना चाहता है।

नीतीश की मानसिक अवस्था दिखाने वाले इतने वीडिय़ो इन दिनों बिहार में वायरल हो रहे हैं कि भाजपा को उनके नाम की घोषणा से नुकसान की संभावना दिख रही है। इसलिए उनके 20 साल के कामकाज के लिए उनकी तारीफ होगी लेकिन उनको मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरा नहीं घोषित किया जाएगा। इसका अंदाजा जदयू के नेताओं को भी है और बिहार के लोग भी समझ रहे हैं। तभी लोगों की दिलचस्पी इससे ज्यादा इसमें है कि भाजपा कोई अपना चेहरा घोषित करेगी या बिना चेहरे के मोदी और नीतीश का गुणगान करके चुनाव लड़ेगी!

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Pic Credit : ANI

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