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प्रदूषण पर भी केजरीवाल की राजनीति

दिल्ली में एक बार फिर लोगों का दम घुटने लगा है। हवा लगातार खराब होती जा रही है। दिल्ली के साथ साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र यानी एनसीआर का भी यही हाल है। लेकिन राजधानी की हालत ज्यादा खराब है। कई जगह वायु गुणवत्ता सूचकांक साढ़े तीन सौ से ऊपर पहुंच गया। बेहद खराब की श्रेणी से निकल कर हवा खतरनाक होती जा रही है, जबकि अभी दिवाली आने वाली है। दिवाली से पहले ही ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान यानी ग्रैप का दूसरा चरण लागू हो गया है। लेकिन इस मसले पर भी दिल्ली में राजनीति थम नहीं रही है। पिछले दिनों एनडीएमसी की बैठक में भाजपा के सदस्यों ने यह मुद्दा उठाया तो केजरीवाल मीटिंग छोड़ कर चले गए।

सोचें, पिछले करीब नौ साल से दिल्ली में केजरीवाल की सरकार चल रही है और अभी तक सरकार ने दिल्ली में प्रदूषण कम करने का एक भी ठोस कदम नहीं उठाया है। ले-देकर कनॉट प्लेस में एक स्मॉग टावर लगा है, जो कुल दो सौ मीटर के क्षेत्र में काम करता है और उसे बंद करने की सिफारिश की गई है। केजरीवाल पहले पंजाब की अकाली दल और भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराते थे कि वे पराली जलाना रोक नहीं पा रहे हैं इसलिए दिल्ली में प्रदूषण हो रहा है। अब जबकि वहां उनकी सरकार बन गई है तो वे हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और कह रहे हैं कि हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पराली जलाए जाने से प्रदूषण फैल रहा है। यह दुर्भाग्य है कि दिल्ली में अब भी प्रदूषण कम करने के लिए रे लाइट पर इंजन बंद करने, जेनरेटर बंद कराने, पुरानी गाड़ियों को रोकने या निर्माण का काम रूकवा देने जैसे आदिकालीन उपाय आजमाए जा रहे हैं।

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