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संसद में प्रादेशिक पार्टियों का एजेंडा

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संसद का बजट सत्र शुरू हुआ था तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कई साल के बाद यह पहला ऐसा सत्र है, जिससे पहले कोई विवादित मुद्दा नहीं आया है। असल में उससे पहले हर सत्र शुरू होने से थोड़े दिन पहले कोई न कोई खुलासा हो जाता था। कभी किसी कंपनी द्वारा शेयर बाजार में गड़बड़ी का तो कभी शेयर बाजार की नियामक की प्रमुख की गड़बड़ियों का तो कभी चीनी घुसपैठ या चीनी सैनिकों के साथ झड़प की। उसके बाद पूरा सत्र उसी पर विवाद में निकल जाता था। बरसों बाद सचमुच ऐसा कोई मुद्दा नहीं है। तभी इस बार संसद सत्र मे ऐसे मुद्दों पर विवाद हो रहा है, जो विशुद्ध रूप से राजनीति और आम लोगों से जुड़े हुए हैं। एक और खास बात यह है कि इस बार मुद्दे या संसद सत्र का एजेंडा प्रादेशिक पार्टियां तय कर रही हैं। ऐसे मुद्दों पर संसद में बहस की मांग हो रही है या हंगामा हो रहा है, जो प्रादेशिक पार्टियां पहले से उठाती

रही हैं।

संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में विवाद का सबसे बड़ा मुद्दा नई शिक्षा नीति, त्रिभाषा फॉर्मूला और परिसीमन का है। यह मुद्दा तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके का है। एमके स्टालिन की पार्टी डीएमके इन मुद्दों को महीनों से उठा रही है। यह राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले का राजनीतिक मुद्दा है। डीएमके ने इस पर चेन्नई में सभी पार्टियों की बैठक बुलाई थी, जिसमें भाजपा और जीके वासन की पार्टी को छोड़ कर सब शामिल हुए। एमके स्टालिन ने इन मुद्दों पर 22 मार्च को सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई है। डीएमके सांसद इन तीन मुद्दों को उठा रहे हैं और ऊपर से डीएमके सांसदों के विरोध को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया उससे भी तनाव बढ़ा। सो, संसद में पहले दो दिन जो बड़ा मुद्दा उठा वह डीएमके ने उठाया है और विपक्ष को एकजुट किया है।

दूसरा बड़ा मुद्दा मतदाता सूची में गड़बड़ियों का है, जिसे उठाया तो लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने लेकिन यह मुद्दा तृणमूल कांग्रेस का है। कांग्रेस ने भी महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के बाद मतदाता सूची में गड़बड़ियों का मुद्दा उठाया था लेकिन असल में तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग को इस मसले पर बैकफुट पर लाकर जवाब देने के लिए मजबूर किया। ममता बनर्जी की पार्टी ने डुप्लीकेट मतदाता पहचान पत्र का मुद्दा उठाया और सबूत पेश किए, जिसके बाद चुनाव आयोग ने कहा कि यह पुरानी समस्या है, जिसे तीन महीने में दूर किया जाएगा। उधर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने प्रखंड स्तर और जिला स्तर पर कमेटी बनाई है, जो मतदाता सूचियों की जांच कर रही है और डुप्लीकेट पहचान पत्र या इपिक नंबर का पता लगा रही है। इन दो मुद्दों के बरक्स कांग्रेस का मुद्दा अमेरिकी फंडिंग का है, जिसे उसने राज्यसभा में उठाया। इस मसले पर भी बाकी पार्टियां कांग्रेस के साथ हैं लेकिन यह आम लोगों को जोड़ने वाला राजनीतिक मुद्दा नहीं है। संसद के बजट सत्र में आम लोगों से जुड़ा या राजनीतिक मुद्दा डीएमके और तृणमूल कांग्रेस ने उठाया है। उनके उठाए एजेंडे पर संसद में गतिरोध और सरकार से टकराव बना है।

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