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स्टालिन सरकार का अडानी विरोध या कुछ और?

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stalin government: तमिलनाडु की एमके स्टालिन सरकार ने स्मार्ट मीटर का टेंडर रद्द कर दिया है। कहा गया है कि मीटर के दाम बहुत ज्यादा कोट किए गए थे इसलिए सरकार ने उन्हें रद्द कर दिया है।

सबसे दिलचस्प बात यह है कि अभी सिर्फ एक टेंडर की बोली सामने आई थी, जिसमें गौतम अडानी की कंपनी अडानी एनर्जी लिमिटेड एल वन थी। यानी अडानी की कंपनी ने सबसे कम बोली लगाई थी।

फिर भी स्टालिन सरकार को वह बोली बहुत ज्यादा लगी और इस आधार पर उसने टेंडर रद्द कर दिए। सवाल है कि सचमुच टेंडर में बोली ज्यादा की थी या अडानी की वजह से इसे रद्द किया गया?

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यह सवाल इसलिए है क्योंकि तमिलनाडु सरकार ने ग्लोबल टेंडर निकाला था। ऐसा टेंडर, जिसमें दुनिया भर की कंपनियां हिस्सा ले सकती थीं। कुल चार टेंडर निकाले गए थे।

उसमें से एक टेंडर, जिसमें 80 लाख से कुछ ज्यादा मीटर सप्लाई करने थे, उसे खोला गया और अडानी समूह की बोली सबसे कम होने के बाद उसे और साथ साथ बाकी तीन टेंडर भी रद्द कर दिए गए।

अगर ग्लोबल टेंडर में अडानी की बोली सबसे कम है तो राज्य सरकार को पता होगा कि इससे कम बोली नहीं लगने वाली है। फिर भी सरकार ने टेंडर रद्द किया है तो कारण यह लग रहा है कि वह अभी अडानी को कोई ठेका देना नहीं चाहती है।

इससे केंद्र सरकार के ऊपर क्रोनी कैपिटलिज्म का आरोप लगाना मुश्किल हो जाएगा। राज्य में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। इसलिए हो सकता है कि सरकार इसे थोड़े समय लंबित करके रखे।

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