पिछले कुछ सालों से राज्यपाल नई नई मिसालें कायम कर रहे हैं। सरकारों के साथ टकराव की वजह से विपक्षी पार्टियों के शासन वाले राज्यों में राजभवन नए सत्ता केंद्र के तौर पर उभरे हैं। आरिफ मोहम्मद खान और आरएन रवि ने राज्य सरकारों से कई मसलों पर टकराव बनाया और उस वजह से अनेक मामले सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे। अब पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया एक नई मिसाल बना रहे हैं। अब तक जो किसी राज्यपाल ने नहीं किया वे वह करेंगे।
गौरतलब है कि पंजाब में नशे के कारोबार को लेकर पिछले कई सालों से चिंता जताई गई थी। जिस समय राज्य में अकाली दल और भाजपा की साझा सरकार थी उस समय कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कह दिया था कि पंजाब के 70 फीसदी युवा नशे के शिकार हैं तो अकाली दल और भाजपा दोनों ने उन पर बड़ा हमला किया और राज्य को बदनाम करने का आरोप लगाया था।
लेकिन राहुल ने जो कहा था वह पंजाब की सचाई थी। राज्य की भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी सरकार ने नशे का कारोबार खत्म करने का संकल्प जताया था लेकिन सरकार के तीन साल हो गए हैं और नशे का जाल फैलता ही जा रहा है। तभी राज्यपाल की पदयात्रा एक राजनीतिक स्टेटमेंट है, जिससे आम आदमी पार्टी की सरकार कठघरे में खड़ी होगी। इससे पहले कांग्रेस की सरकार रही है उस पर भी सवाल उठेगा। कांग्रेस, आप और अकाली दल सभी पार्टियों की नजर राज्यपाल की इस यात्रा पर होगी।
ध्यान रहे नशे से मुक्ति के नाम पर ही कट्टरपंथी अमृतपाल ने ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन को आगे बढ़ाया है और अब राजनीतिक दल भी बना लिया है।
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