सूचना आयोग पर सरकार का दबाव!

केंद्रीय सूचना आयोग के सदस्य श्रीधर आचार्युलू ने बड़ा गंभीर सवाल उठाया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार सीआईसी की आवाज को दबा रही है या दबाने का प्रयास कर रही है। आचार्युलू ने कहा है कि कानूनी मामलों में उलझा कर आयोग पर दबाव बनाया गया है। उन्होंने दो मामले बताए हैं। दोनों मामले भारतीय रिजर्व बैंक से जुड़े हैं। उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कराने के लिए आयोग ने रिजर्व बैंक के गवर्नर को कहा था कि वे कर्ज नहीं चुकाने वाले बड़े लोगों की सूची जारी करें। पर बैंक ने ऐसा नहीं किया। जब इसके लिए आयोग की ओर से आरबीआई के गवर्नर को कारण बताओ नोटिस भेजा गया तो वे केंद्रीय बैंक कोर्ट पहुंच गया।
आचार्युलू के कहना है कि केंद्रीय सूचना आयोग एक अर्ध न्यायिक निकाय है इसके किसी फैसले के विरोध में कोई मामला नहीं दर्ज किया जा सकता है। तभी उनका कहना है कि आयोग दबाव में है। यह भी हकीकत है कि केंद्रीय सूचना आयोग में आयुक्तों के कई पद खाली पड़े हैं, लेकिन उन्हें भरने की जरूरत नहीं है। पिछले कुछ समय से यह बात भी सामने आई है कि सूचना के अधिकार के तहत दिए जाने वाले आवेदनों पर ज्यादातर मामलों में जानकारी नहीं दी जा रही है और इन मामलों में अपील होता है तो अधिकारियों की कमी के कारण मामले लंबित होते जा रहे हैं। कुल मिला कर सूचना के अधिकार की क्रांति धीरे धीरे ठंडी पड़ती जा रही है।
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