Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

पूर्वांचंल में जातिय बीहड और जौनपुर

जौनपुर। यूपी के आखिरी सात मार्च के चरण में जौनपुर जिले की नौ सीटों पर मतदान है। मतदान आते-आते हिंदू-मुस्लिम धुव्रीकरण व जातिय समीकरणों की गणित में वोटर का मूड कुछ भी हो सकता है। जौनपुर में उलटफेर जात से होगी। दूसरा निर्णायक कारण भाजपा बनाम सपा की आमने-सामने की लड़ाई है। जो नतीजे जौनपुर में होंगे वैसे पूर्वांचल के जिलों के होंगे। 2017 के चुनाव में जिले की नौ सीटों में भाजपा ने पांच तो विपक्ष ने चार ( तीन सपा, एक बसपा) सीटे जीती थी। मुस्लिम वोटों के बंटने का भाजपा को फायदा हुआ था। जिला 2012 में सपा का गढ़ था। तब सपा ने नौ में से सात सीटे जीती। एक सदर सीट कांग्रेस के नदीम जावेद को मिली थी और भाजपा सिर्फ मुंगराबादशाहपुर सीट जीत पाई थी। jaatiya beehad in Purvanchal

जौनपुर की चुनावी पहेली यह है कि मुस्लिम वोट क्या बसपा-सपा-कांग्रेस में बंटेंगे और हिंदू बनाम मुस्लिम का धुव्रीकरण में वोट पड़ेगे या जात समीकरण में लोग वोट डालेंगे? उम्मीदवार और सीएम के चेहरे का कितना मतलब होगा।

Read also ‘भक्त’ नौजवान का जवाब तयशुदा!

चुनावी हल्ले में क्योंकि नए और नौजवान वोट निर्णायक है इसलिए उनकी राय में जौनपुर की तस्वीर समझना पूर्वांचल का मूड समझना है। आश्चर्य की बात कि शहर-सदर सीट पर नौजवान जात की बात पर ना-नुकुर करते है। यूथ या तो योगी-मोदी पर जज्बा दर्शाते हुए या फिर अखिलेश से भावनात्मक तौर पर जुड़ा हुआ। योगी-मोदी और भाजपा के लिए शहरी नौजवान दिवानगी पाले हुए। रणजीत राय का जौनपुर में एक रिकार्डिंग स्टूडियों है। उसने कुछ स्थानिय नौजवानों लडकों को साथ ले कर भोजपुरी गाने बनाए है। रणजीत ने स्टूडियों बनाने में योगी सरकार से मदद के लिए हाथ-पांव मारे लेकिन कुछ नहीं मिला। मोटरसाईकिल दुर्घटना में टांग टूटी तो खर्चे की मार जबकि काम-आमद का खास जरिया नहीं। वह जाति से विश्वकर्मा है और भाजपा का अंधा भक्त। ऐसे ही उसका भाई, उसके दोस्त भी मोदी-योगी के समर्थक।

भोजपुरी गानों की इस संगीत मंडली में पिछडी जातियों के यूथ है तो मुस्लिम और दलित नौजवान भी है। सभी अपनी-अपनी पसंद में वह कारण बताने में हिचक नहीं रखते कि उनके रूझान की वजह क्या है। मोदी-योगी समर्थक यूथ की भीड में गुलाम नबीं अंजाना ने कहां वह समाजवादी पार्टी का समर्थक है और उसने पार्टी के लिए भोजपुरी में गाना लिख गाया है। ऐसा इसलिए नहीं कि उन्हे कोई पैसा मिला या पार्टी से सर्पोट था….उनके लिए मेरा मन है और वह हमेशा से हैआगे विश्वास-जोश से कहां- अखिलेश मजे से वापिस मुख्यमंत्री होंगे।

यह सुन बगल का उलन सोनी अपने को रोक नहीं पाया। उसने कहां- अखिलेश एक अच्छा नेता है और मैंने 2017 में उसी को वोट दिया था लेकिन इस बार मैं भाजपा को दे रहा हूं। क्यों? …इसलिए नहीं की भाजपा के लिए गाना गया….उसने फिर कहां, पिछले दिनों घर लौटते हुए उसे यादव लडकों ने यह कह कर डराया कि हमारी सरकार आ रही है।.. अखिलेश अच्छे है लेकिन उनके लोग पॉवर आते ही बेकाबू हो जाते है, रौब गांठते है।   

Read also “योगीजी ही वापिस आएंगे”

नितिन लागान दलित नौजवान है, सूरदास है। उसने भाजपा सरकार के लिए भोजपुरी गाने गाये है और वह 2014 से मोदी और भाजपा को वोट दे रहा है। उसके अनुसार- मुझे अच्छी शिक्षा मिली। मैं यह फर्क बूझ सकता हूं कि क्या अच्छा है और क्या बुरा। बीजेपी की अच्छी बात यह लगी कि वह सभी जातियों को लिए हुए होती है।“..’ हम पहले सोच नहीं सकते थे कि ब्राह्मण, ठाकुर, दलित, पिछड़े सभी साथ बैठे है और जो मन आता है बोलते है और म्युजिक बनाते है।

अलग-अलग जातियों के नौजवान मिक्स के मूड में पते का चुनावी निष्कर्ष इतना भर है कि पहली या दूसरी बार वोट दे रहे यूथ पसंद-नापसंद का दो टूक फैसला लिए हुए होते भी आपस में बात करते है। उनमें चेहरों को लेकर दिवानगी है। जो सुना है या सुनते आ रहे है उसमें पक्के तौर पर दिमाग में यह जड़ जमी है कि यदि योगी-मोदी को छोड़ा तो हिंदू खतरे में पड़ेगा। वही जो यूथ अखिलेश की बात करते है तो उनके दिल-दिमाग में भी एक ही बात है कि अखिलेश अच्छे है।

क्या ऐसे ही आम पब्लिक सोचती है? लोकल पत्रकार, एक्टिविस्ट और अनुभवी लोगों का मामला  अलग है। वे सभी जातिय समीकरण और वोटों की गणित का हिसाब देते हुए मिले या फिर इस विश्वास में कि कुछ भी हो भाजपा सरकार बना लेगी।

कैसे? जब सन् 2017 की हवा में भी जिले की नौ सीटों में से चार विपक्ष को मिली  थी तो अब भाजपा बनाम सपा के सीधे मुकाबले और मुस्लिम वोटों के एकमुस्त रूझान जैसी दलीलों पर क्या उलटफेर संभव नहीं?  तब जानकार से एक-एक सीट का लोकल विश्लेषण सुनेंगे तो हिसाब करते-करते इस दफा तीन इनकी, छह उनकी। शहर में सदर सीट पर नदीम जावेद एकमुस्त वोट पाएंगे तो मल्हनी सीट को लेकर सुनने को मिला कि गैर-भाजपाई (निषाद पार्टी) बाहुबली नेता है धनंनजय भैय्या, वोट तो उनको ही जायेगा। फिर मल्हनी, शाहगंज, मछलीशहर, मुंगराबादशाहपुर की एक-एक सीट का हिसाब तो लगेगा हर सीट तो फंसी हुई है। पूर्वांचल के जिले, लगता है जातिय समीकरण के बीहड़ से आखिर तक फंसे मुकाबले के है। 

Exit mobile version