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आसन पर कोतवाल को बैठा दें

Parliament winter sessionImage Source: ANI

विपक्ष के सांसद आरोप लगाते हैं कि पीठासीन अधिकारी हेडमास्टर की तरह सदन की कार्यवाही का संचालन करते हैं। विपक्ष के सांसदों के भाषण के बीच सत्ता पक्ष के सदस्यों से ज्यादा पीठासीन अधिकारी टोकाटाकी करते हैं। इसके बावजूद 19 दिसंबर 2024 से पहले तक संसद और सांसदों के विवाद पीठासीन अधिकारी ही निपटाते थे। किसी भी मुद्दे पर लोकसभा स्पीकर या राज्यसभा के सभापति पक्ष और विपक्ष को बुला कर रास्ता निकालने की कोशिश करते थे। Parliament winter session

ऐसी ही कोशिश के तहत शीतकालीन सत्र में संविधान पर चर्चा की सहमति बनी थी और दोनों सदनों में दो दो दिन तक इस पर चर्चा हुई थी। यहीं तक कि शीतकालीन सत्र में एक सांसद की टेबल से 50 हजार रुपए नकद मिलने की बात आई तो वह मामला भी राज्यसभा के सभापति के पास ही पहुंचा और उस पर जो भी फैसला होना है वह उनको ही करना है। इसमें दिल्ली के कोतवाल या आयकर विभाग और ईडी की भूमिका नहीं है।

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यह संविधान में प्रतिपादित किया गया है कि संसद में कही गई किसी भी बात को या किसी भी गतिविधि को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है। हालांकि अब इसका कुछ अपवाद बना है लेकिन यह सांसदों का विशेषाधिकार रहा है। परंतु 19 दिसंबर, 2024 को स्थितियां बदल गईं। सांसदों में धक्कामुक्की हुई और दो सांसद अस्पताल में भर्ती हो गए। उसके बाद मामला थाने में पहुंच गया। इसके बाद भाजपा के सांसद संसद मार्ग थाने में पहुंचे और राहुल गांधी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया।

भाजपा सांसदों ने नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ संज्ञेय अपराध की कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है। अब संसद मार्ग थाने का कोई अधिकारी इसकी जांच करेगा। क्या संसद के मकर द्वार पर घटनाक्रम का सीन रिक्रिएट किया जाएगा, जैसा कि पुलिस आमतौर पर करती है? क्या आरोपी राहुल गांधी सहित तमाम सांसदों के बयान दर्ज किए जाएंगे? क्या सीसीटीवी की फुटेज खंगाली जाएगी?

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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