Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

डोनाल्ड ट्रम्प की कूटनीतिक असभ्यता….

भोपाल। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा जिस कूटनीतिक असभ्यता का सार्वजनिक रूप से यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेन्स्की से दुर्व्यवहार किया गया, वह सारी दुनिया ने देखा है..! दो देशों के राष्ट्रपति जब मिलते हैं तब उनसे बराबरी का व्यवहार होता हैं। भले ही वह क्षेत्रफल और आबादी में कितना ही छोटा हो। परंतु ट्रम्प का व्यवहार तो कूटनीति के इतिहास में एक उदाहरण बन गया हैं। जिस तरह से टीवी चैनलों के सामने वे यूक्रेन के राष्ट्रपति को धमक रहे थे वह उनके पूर्व के बयानों के अनुरूप ही था। जिस अभिमान भरे स्वरूप मे वे रूस और यूक्रेन के मध्य तीन साल से चल रहे युद्ध को रोक देने का दावा कर रहे थे, उसी के अनुरूप उन्होंने व्हाइट हाउस मे हुई दोनों पक्षों की वार्ता के दौरान दादागिरी का प्रदर्शन किया। उनका जोर था कि यूक्रेन पहले शांति प्रस्ताव को मंजूरी दे। रूस के हमले से सुरक्षा का वादा बाद में विचारणीय होगा! जेलेन्स्की का कथन था कि युद्ध रोकने की शांति वार्ता में उनके राष्ट्र की मौजूदगी अनिवार्य हैं। जिस पर ट्रम्प राजी नहीं थे। उनका स्वार्थ यूक्रेन के खनिज भंडार पर कब्जे का था। शांति प्रस्ताव में उसी का वर्णन था।

सोवियत रूस के नेता निकिता खुरसचेव ने 12 अक्टूबर 1960 को संयुक्त राष्ट्र की महासभा में उस समय अपना जूता निकालकर मेज पर पटक दिया था, जब फिलीपींस के नेता हिन्द महासागर में उनकी जल सीमा के उल्लंघन पर चर्चा हो रही थी। इसलिए डोनाल्ड ट्रम्प बदतमीजी करने वाले पहले नेता नहीं हैं। गौरतलब हैं कि ट्रम्प और जेलेन्स्की प्रकरण पर प्रतिक्रिया देते हुए रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के सहयोगियों ने जैसी भाषा का उपयोग किया मसलन, ट्रम्प ने जेलेन्स्की को झापड़ क्यूं नहीं मार दिया, दूसरे ने जेलेन्स्की को ‘सुवर’ कहा…!

ट्रम्प का व्यवहार द्वितीय महायुद्ध के बाद तीन बड़े राष्ट्रों की यूक्रेन के यालटा में हुई बैठक के समान था। जिसमें अमेरिका -रूस और ब्रिटेन ने दुनिया का बंटवारा कर लिया था। गौरतलब है कि इजराइल और सऊदी अरब राष्ट्र का निर्माण इस बैठक के बाद ही हुआ। लॉर्ड वालफोर को फिलिस्तीन और अरब के कब्जे के इलाके को काटकर यहूदियों के लिए एक राष्ट्र का निर्माण किया गया, क्यूंकि यहूदियों का संहार जर्मन सत्ता द्वारा किया गया था। उन्हें तरह – तरह की यंत्रनाएं दी गई थी। आज भी आशविज (जर्मनी) में उन यंत्रणा घरों को देखा जा सकता हैं। इसके अलावा यहूदियों ने मित्र राष्ट्रों की वित्तीय रूप से भी मदद की थी। आज उसी का परिणाम हैं कि फिलिस्तीन के गाजा इलाके में इजराइल की बमबारी से सम्पूर्ण इलाका ध्वस्त कर दिया गया हैं। डोनाल्ड ट्रम्प गाजा को मध्य पूर्व का रिवेरा बनाना चाहते हैं। अन्तराष्ट्रिय रूप से गाजा से फिलिस्टिनी लोगों को दूसरे देश में चले जाने का सुझाव वे ही दे सकते हैं ! कोई कैसे अपनी जन्म भूमि को छोड़कर दूसरे देश में शरणार्थी के रूप मंे जाकर बसे। वह भी तब समस्त यूरोप के देशों में मुस्लिम शरणार्थियों के प्रति नफरत का भाव हैं। जर्मनी मंे तो एक राजनीतिक पार्टी ने देश में हो रहे अपराधों के लिए मुस्लिम देशों से आए इन शरणार्थियों को ही दोषी बताया और वहां की युवा मतदाताओं ने इस मांग का भरपूर समर्थन भी किया।

Exit mobile version