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कम नमक से सेहत की मुश्किल

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शरीर के लिये सबसे जरूरी पोषक तत्वों में से एक। बिना नमक के न मांसपेशियां काम करती हैं न नर्वस सिस्टम। और तो और दिमाग भी काम नहीं करता। चक्कर आने लगते हैं। डिहाइड्रेशन हो जाता है। ऐंठन होने लगती है, लोग फेंट होकर गिर जाते हैं। घबरा गये? घबराइये नहीं। ये सब बताने का मकसद आपको डराना नहीं। बल्कि ये समझाना है कि हेल्दी रहने के लिये नमक बहुत जरूरी है।

परसेप्शन है कि नमक, सेहत के लिये ठीक नहीं। बीपी बढ़ा देता है। हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। हाथ-पैर सूज जाते हैं। और पता नहीं क्या-क्या हो जाता है नमक खाने से। इन सबके बाद भी हम रोज नमक खाते हैं, क्यों? क्या स्वाद के लिये? या बात कुछ और है।  कोई कुछ भी कहे, बिना नमक न खाने में स्वाद, न जीवन में। बात केवल स्वाद की नहीं, सेहत की है। हमारे शरीर में होता है करीब 250 ग्राम नमक। सोडियम-पोटेशियम जैसे मिनरल्स के रूप में। अच्छी हेल्थ के लिये ये दोनों जरूरी हैं। लेकिन खाने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है सोडियम।

नमक का क्या काम?

सोडियम, पूरा नाम सोडियम क्लोराइड। बाजार में बिकने वाला आम नमक। 20 से 25 रूपये किलो वाला। शरीर के लिये सबसे जरूरी पोषक तत्वों में से एक। बिना नमक के न मांसपेशियां काम करती हैं न नर्वस सिस्टम। और तो और दिमाग भी काम नहीं करता। चक्कर आने लगते हैं। डिहाइड्रेशन हो जाता है। ऐंठन होने लगती है, लोग फेंट होकर गिर जाते हैं।

घबरा गये? घबराइये नहीं। ये सब बताने का मकसद आपको डराना नहीं। बल्कि ये समझाना है कि हेल्दी रहने के लिये नमक बहुत जरूरी है। आपको पता है, नमक कम खाने से ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ जाते हैं। एलडीएल हाई हो जाता है। एलडीएल यानी खराब कोलोस्ट्रॉल। वह भी 3 से 6 परसेन्ट। यकीन नहीं हो रहा, लेकिन ये सच है। जिस रिसर्च से ये प्रूव हुआ उसमें दो-चार नहीं पूरे 12,000 लोग शामिल थे।

बात यहीं नहीं रूकती। नर्वस सिस्टम को करेंट मिलता है नमक से। ब्लड प्रेशर रेगुलेट करना हो या कोशिकाओं तक पोषण पहुंचाना, सब के पीछे होता है नमक। सिरदर्द के 70 प्रतिशत मामले नमक की कमी से होते हैं। नमक यानी इलेक्ट्रोलाइट्स। इलेक्ट्रोलाइट्स कम होते ही कमजोरी आ जाती है। चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है। याद्दाश्त गड़बड़ा जाती है। बीपी गिरने लगता है। कभी-कभार तो हार्ट अटैक आ जाता है।

नमक कम या ज्यादा

असल में नमक का मामला थोड़ा पेचीदा है। कम खायें तो मुसीबत, ज्यादा खायें तो और मुसीबत। हालांकि हमारा शरीर, नमक संतुलित करने में लगा रहता है। इसे ऐसे समझिये। अगर आपने ज्यादा नमक खाया तो प्यास लगेगी। प्यास लगेगी तो पानी पियेंगे। पानी पियेंगे तो नमक संतुलित हो जायेगा। यानी शरीर खुद-ब-खुद प्यास के जरिये शरीर में नमक बैलेंस कर लेता है।

जबकि, कम नमक खाने से ऐसा कुछ नहीं होता कि शरीर इसे खुद बैलेंस कर ले। हां सिरदर्द, चक्कर और ऐंठन जैसी समस्यायें हो सकती हैं लेकिन शायद ही कोई समझ पाये कि ये सब नमक की कमी से हो रहा है। इसलिये नमक की कमी से क्या-क्या हो सकता है ये जानना उतना ही जरूरी है जितना ज्यादा नमक खाने के खतरों को।

रोज कितना नमक जरूरी

हमें रोज कितना नमक खाना चाहिये? इलेक्ट्रोलाइट्स का बैलेंस ठीक रहे, अंग-प्रत्यंग ठीक से काम करें इसके लिये नमक की डेली लिमिट है 1500 से 2300 मिलीग्राम। जो बनता है आधे से पौना टी स्पून। बीपी हाई रहता हो, किडनी खराब हो या ऑस्टियोपोराइसिस हो तो 1500 मिलीग्राम से ज्यादा नमक न खायें।

 

कौन सा नमक सबसे अच्छा?

आज बाजार में तरह-तरह के नमक मिलते हैं। फ्री-फ्लो टेबल सॉल्ट, सी सॉल्ट और रॉक सॉल्ट। स्वाद में सब एक जैसे। लेकिन फायदे अलग-अलग। इनमें सेहत के लिये सबसे अच्छा है रॉक सॉल्ट यानी सेंघा नमक। गुलाबी रंग के इस नमक में सोडियम के अलावा पोटेशियम, मैंगनीशियम, आयरन, कॉपर, कैल्शियम और जिंक जैसे करीब 90 मिनिरल होते हैं। यह कोशिकाओं में हेल्दी pH लेवल मेन्टेन रखता है। मांसपेशियों में ऐंठन नहीं होने देता। पैरों में ऐंठन हो, एक टी स्पून सेंघा नमक घोलकर पी लें ऐंठन गायब। इसके हाई मिनरल्स ब्लड शुगर मेन्टेन करने में हैल्प करते हैं। इसे आयुर्वेदिक दवाओं में यूज किया जाता है। यहां तक कि व्रतों में लोग सेंघा नमक ही खाते हैं।

इसके बाद नंबर आता है समुद्री नमक यानी सी-सॉल्ट का। इसमें सोडियम के अलावा पोटेशियम, कैल्शियम और आयरन जैसे मिनरल होते हैं लेकिन सेंघा नमक से कम। इन दोनों में से जो भी आसानी से उपलब्ध हो उसे खाने में यूज करें। रही बात फ्री फ्लो टेबल सॉल्ट की तो ज्यादा प्रोसेसिंग से इसमें मिनरल्स कम हो जाते हैं। हालांकि आयोडीन बगैरा अलग से मिलाते हैं फिर भी ये सेंधा और समुद्री नमक जितना हेल्दी नहीं होता।

सही मात्रा में नमक खाने के फायदे

सेंधा हो या समुद्री नमक, अगर आप सही मात्रा में खा रहे हैं तो आपको ये फायदे जरूर होगें। इनमें पहला है स्वस्थ मजबूत दिल। नमक में मौजूद पोटेशियम, वैस्कुलर कैल्सीफिकेशन रोककर हाई बीपी, स्ट्रोक और दिल की बीमारियों से बचाता है। शरीर हाइड्रेट रहता है। इलेक्ट्रोलाइट्स बैलेंस रहते हैं यानी मसल क्रैम्प्स, थकान, अनियमित धड़कन और मतली जैसी प्रॉब्लम नहीं होती।

नर्वस सिस्टम और ब्रेन ठीक काम करता है। नमक के नेचुरल मिनरल, नींद के लिये जरूरी हारमोन मेलाटोनिन को रेगुलेट करते हैं जिससे अच्छी नींद आती है। यानी सुबह तरोताजा उठने में हैल्प करता है नमक।

और अंत में।।।

कुल मिलाकर अच्छा स्वस्थ जीवन जीने के लिये नमक छोड़ने के बजाय खाने में इसकी सही मात्रा शामिल करें। वैसे तो हर साग-सब्जी में थोड़ा-बहुत नमक होता है, लेकिन इससे नमक की डेली नीड पूरी हो ये जरूरी नहीं। गर्मी, ह्यूमिडिटी, एक्सरसाइज और खेल-कूद से शरीर का काफी नमक पसीना बनकर बह जाता है। ऐसे में जरूरत होती है सही मात्रा में नमक खाने की। और ये सही मात्रा है 1500 से 2300 मिलीग्राम पर डे। हां, इससे कम या ज्यादा नमक खाने पर आपको हेल्थ रिलेटिड प्रॉब्लम्स हो सकती हैं।

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