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तबादले होंगे बशर्ते….

liquor ban in MP

Bhopal, Dec 24 (ANI): Madhya Pradesh Chief Minister Mohan Yadav addresses a press conference, at BJP State Headquarters in Bhopal on Tuesday. (ANI Photo)

भोपाल। विभागीय मंत्री के प्रशासकीय अनुमोदन पर गंभीर बीमारियों कोर्ट के आदेश अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत भ्रष्टाचार या आपराधिक प्रकरण में संलिप्तता प्रशासनिक जरूरत के आधार पर परियोजना पूर्ण होने पर जैसी शर्तों के साथ सामान्य प्रशासन विभाग ने नई तबादला नीति के आदेश जारी कर दिए हैं। महेश्वर में हुई कैबिनेट बैठक में मंत्रियों को तबादले के अधिकार दिए जाने पर सहमति बनी थी।

दरअसल लगभग एक वर्ष से मंत्री कोशिश कर रहे थे कि उन्हें अपने विभाग के अंतर्गत स्थानांतरण करने के अधिकार मिल जाए। अनेक अवसर पर कैबिनेट की बैठक में मंत्रियों ने इस विषय पर चर्चा भी की। बीच में यह तय हुआ कि मुख्यमंत्री संवाद से तबादले किया जा सकेंगे लेकिन मंत्री चाहते थे कि उन्हें पूरा अधिकार मिले मंत्रियों की कोशिश महेश्वर की कैबिनेट बैठक में कामयाब हो गई जिसमें तय हुआ कि मंत्रियों को स्थानांतरण करने के अधिकार दिए जाएं और इसी के तहत सामान्य प्रशासन विभाग ने नई तबादला नीति के आदेश जारी कर दिए हैं। सभी विभागों, विभागाध्यक्षों, कलेक्टरों और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि संशोधित तबादला नीति 2025 के तहत राज्य स्तर पर अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादलों पर प्रतिबंध लागू रहेगा। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि प्रतिबंध अवधि के दौरान या नीति से हटकर केवल अपवाद स्वरूप परिस्थितियों में ही प्रथम द्वितीय और तृतीय श्रेणी के साथ की सेवकों के तबादले किया जा सकेंगे। इसके लिए संबंधित विभागीय मंत्री से प्रशासकीय अनुमोदन आवश्यक होगा।

बहरहाल, नई तबादला नीति में जो नियम बनाए गए हैं उसमें गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, लकवा, हार्ट अटैक या अन्य गंभीर बीमारियों से उत्पन्न तात्कालिक परिस्थितियां न्यायालय निर्णय जिनका पालन करना अनिवार्य हो या कोई अन्य विधिक विकल्प न हो के आधार पर भी तबादले किए जा सकेंगे। इसके अलावा यदि किसी शासकीय सेवक पर गंभीर शिकायत, अनियमित या लापरवाही के आरोप सिद्ध हो चुके हो और उसके विरुद्ध मध्यप्रदेश सिविल सेवा 1966 के नियम 14 या 16 के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा चुकी हो तो उसका भी तबादला किया जा सकेगा। इसके अलावा यदि लोकायुक्त, ईओडब्लू या पुलिस द्वारा किसी शासकीय अधिकारी/कर्मचारी के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया हो या अभियोजन की प्रक्रिया शुरू होने के कारण जांच प्रभावित होने की संभावना हो तो भी तबादला किया जा सकेगा।

इसके अलावा निलंबन, त्यागपत्र सेवानिवृत्ति, पदोन्नति, प्रतिनियुक्ति से वापसी या किसी शासकीय सेवक के निधन के कारण रिक्त पदों पर लोकहित में तबादला किया जा सकेगा और यदि किसी भी सरकारी परियोजना का कार्य पूरा होने के बाद यह संबंधित पद के अनियंत्रित स्थानांतरित होने की स्थिति में भी तबादला किया जा सकेगा। यही नहीं नई तबादला नीति के अनुसार मुख्यमंत्री कार्यालय से प्राप्त उच्च प्राथमिकता वाले प्रकरणों में संबंधित विभाग के सचिव को प्रशासकीय अनुमोदन प्राप्त कर आदेश जारी करना होगा। यदि कोई तबादला प्रकरण विभागीय नीति के अनुरूप नहीं पाया जाता तो ऐसे मामलों में विभागीय सचिव को पहले विभागीय मंत्री से अनुमोदन लेना होगा। इसके बाद अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री कार्यालय को दोबारा प्रस्ताव भेजकर अंतिम आदेश प्राप्त किया जा सकेगा।

कुल मिलाकर लंबे अरसे बाद मंत्रियों के प्रयास कामयाब हुए और शर्तों के साथ ही सही लेकिन कुछ तो तबादला करने के अधिकार मिल गये

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