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भाजपा नेता रसमलाई की प्रतीक्षा में…

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भोपाल। मध्य प्रदेश में भाजपा नेता और कार्यकर्ता फिर कुंठा और अवसाद के शिकार होते लग रहे हैं। खबर यह है कि निगम-मंडलों में नियुक्ति के लिए तीन सूचियां बनी हैं-एक मुख्यमंत्री केम्प की तरफ से दूसरी केंद्रीय मंत्री शिवराजसिंह चौहान और तीसरी संगठन की तरफ से इसमें प्रदेश अध्यक्ष और संगठन महामंत्री के पसंदीदा नाम शामिल हैं। कुछ नाम केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरफ से जुड़ेंगे। इन नामों पर घोषणा के पहले केंद्रीय नेतृत्व से मुहर लगवाने की प्रक्रिया भी की जाएगी ताकि विरोध के स्वर ज्यादा मुखर न हो। सबको पता है कि डॉ मोहन यादव ने सीएम की शपथ लेने के कुछ ही दिनों में बीडीए से लेकर निगम मंडलों में नियुक्त अध्यक्ष उपाध्यक्ष पद से हटा दिए थे। तब राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा थी कि शिवराज समर्थकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। ऐसे में अब नई नियुक्ति के समय सीएम यादव अपने हिसाब से इन लाभ के पदों पर नियुक्तियां कर सकेंगे। लेकिन बदली हुए हालात में समन्वय और संतुलन बनाकर सब कुछ आसानी से हो जाएगा लगता नही है।

लंबे समय से निगम- मंडलों में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के पदों पर नियुक्ति की प्रतीक्षा दावेदारों को परेशान किए हुए है। कोई लाख कहे कि विधानसभा के बाद प्रदेश में लोकसभा की सभी 29 की 29 सीटें भाजपा की झोली में आने के पीछे मोदी मैजिक की बड़ी भूमिका रही है। ऐसे में पार्टी के कुछ प्रतिशत बचे पंच निष्ठा वाले उन कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय हो जाता है। पूरी लगन से चुनाव जिताने व संगठन की सेवा करने में लगे रहे हैं। हालांकि पार्टी में पंच निष्ठा वाले कार्यकर्ता तो छोड़िए पदाधिकारी भी विरले ही बचे हैं। समय बीत रहा है और निगम- मंडलों में तैनाती को लेकर तारीख पर तारीख मिल रही है।

पहले दिसम्बर 2023 विधानसभा चुनाव के बाद चर्चा थी अबकी बार लोकसभा चुनाव के पूर्व जल्दी नियुक्ति की जाएगी। लेकिन कुछ विघ्न संतोषी नेताओं ने यह कह कर पेंच फंसा दिया कि इससे जो निगमों में अध्यक्ष-उपाध्यक्ष नही बनेंगे वे चुनाव के प्रति उदासीन हो जाएंगे और इसका प्रतिकूल असर नतीजों पर दिखेगा। बहरहाल मान लें कि इसका लाभ भी हुआ और राज्य में लोस की सभी 29 सीटें जीतने का कीर्तिमान बन गया। लेकिन अब इसके बाद क्या…? लेकिन अब उम्मीद की जा रही है कि नियुक्ति वाली ये बीरबल की खिचड़ी अगले महीने अक्टूबर से पकना शुरू हो जाए। मसलन तबादला उद्योग भी लंबे इंतज़ार के बाद 15 अक्टूबर से शुरू हो जाएगा।

ट्रांसफर कारोबार में कुछ तो बहुत जरूरी काम भी अटके पड़े हुए हैं। स्कूल के मास्साब,कॉलेज के प्रोफेसर प्रिंसिपल, अस्पताल में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ के साथ कलेक्ट्रोरेट, तहसील में एसडीएम, तहसीलदारों से लेकर पटवारी तैयार फेहरिस्त में मंत्री बंगलों में नाम जोड़ने काटने का दौर तेज हो रहा है। इसमे मंत्रालय और मंत्री बंगलों में तैनात कुछ घाघ अधिकारी व कर्मचारी जरूरतमंदों को सूची दिखाकर वसूली का खेल भी खेलने का तानाबाना बुन रहे हैं। यद्द्पि बारिश के मौसम में बदलियों (तबादलों) की बरसात का हम पहले जिक्र कर चुके हैं। इस पूरे मसले को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और उनकी टीम कैसे संभालती है काफी कुछ इस पर भी निर्भर करेगा। मंत्रियों के बंगलो पर भी दलालों की भीड़ कितनी सक्रिय रहती है यह भी देखने की बात होगी। अनुभव के मामले में वरिष्ठ मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल,राजेन्द्र शुक्ल, गोविंद राजपूत,कसौटी पर होंगे। पहली – दूसरी बार बने मंत्री अलबत्ता ट्रांसफर लिस्ट को लेकर चर्चाओं में आ सकते हैं।

गलती सुधारती भाजपा…
ऐसा लगता है संगठन में पीढ़ी परिवर्तन के नाम पर भाजपा में जिन तपे तपाए 50 की उम्र पार के नेता- कार्यकर्ताओं को हाशिए पर डालने का काम हो रहा था अब उस पर ब्रेक लगेंगे। दरअसल स्थानीय निकाय के चुनाव हो या संगठन के कार्य नए नवेले पदाधिकारी उन्हें ठीक से संचालित नही कर पाए। मंडल स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक उसका खामियाजा पार्टी ने भुगता। कार्यकारिणी की बैठकों में अनियमितता और संगठन के प्रशिक्षण वर्ग जैसे कार्य रस्मअदायगी से ज्यादा कुछ नही बचे थे। पुराने पदाधिकारी विदा हो रहे थे और कॉडर को मजबूत करने में कोई दिलचस्पी नही थी। संगठन महामन्त्री स्तर के नेता भी इस बीमारी का शिकार हो रहे थे। ऐसा लगता है चौतरफा जब दिल्ली से नागपूर तक इस तरह का फीड बेक गया तो इसमे पहले की भांति सुधार लाने के संकेत मिले हैं। ताकि दूसरे दलों से आने वाले नेताओं को पार्टी कॉडर के साथ एकरस किया जा सके।

कांग्रेस में सक्रियता और किसानों पर जोर…
मध्यप्रदेश कांग्रेस में अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सक्रिय होने के साथ अपनी नई टीम बनाने के लिए पार्टी हाईकमान के सामने दबाव बनाने का प्रयास किया है। किसानों के लिए छह हजार रु प्रति क्विंटल सोयाबीन का समर्थन मूल्य देने के लिए जिलास्तर पर ट्रेक्टर ट्रॉली आंदोलन करने का ऐलान किया है। इसमे गेंहू की खरीदी 27 सौ रु प्रति क्विंटल और धान 31 सौ रु प्रति क्विंटल खरीदने के भाजपाई वादे पर अमल की मांग भी शामिल है। कुल मिलाकर कांग्रेस इस बहाने किसानों में अपनी पकड़ को मजबूत करने के प्रयास में है। इस बीच जीतू पटवारी अपनी टीम के गठन की भी कोशिश कर रहे हैं। लेकिन इसमे पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की भी सहमति जरूरी है।

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