नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में बुलडोजर चला कर लोगों को घर गिराए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तीखी नाराजगी जताई है। सर्वोच्च अदालत ने मंगलवार को प्रयागराज डेवलपमेंट अथॉरिटी को मकान गिराने की कार्रवाई पर फटकार लगाई। अदालत ने अधिकारियों के बुलडोजर एक्शन को अमानवीय और अवैध बताया।
साथ ही कहा कि 2021 में हुई इस कार्रवाई के दौरान दूसरों की भावनाओं और अधिकारों का ख्याल नहीं रखा गया। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट पहले भी ऐसी नाराजगी जता चुका है और कई मामलों में बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाई है।
बहरहाल, मंगलवार को जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जवल भुइयां की बेंच ने कहा, ‘देश में लोगों के रिहायशी घरों को इस तरह से नहीं गिराया जा सकता है। इसने हमारी अंतरआत्मा को झकझोर दिया है’। अदालत ने आगे कहा, ‘राइट टु शेल्टर नाम की भी कोई चीज होती है।
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सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के बुलडोजर एक्शन पर कड़ी आपत्ति
उचित प्रक्रिया नाम की भी कोई चीज होती है। इस तरह की कार्रवाई किसी भी तरह से ठीक नहीं है’। गौरतलब है कि प्रयागराज प्रशासन ने 2021 में गैंगस्टर अतीक की संपत्ति समझकर एक वकील, प्रोफेसर और तीन अन्य के मकान गिरा दिए थे।
मकान गिराए जाने के बाद वकील जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इससे पहले वे इलाहाबाद हाई कोर्ट गए थे, लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी याचिकाएं ठुकरा दी थीं।
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई की और कार्रवाई पर नाराजगी जताते हुए प्रयागराज डेवलपमेंट अथॉरिटी को आदेश दिया कि जिनके मकान गिराए गए हैं, उन्हें छह हफ्तों के भीतर 10-10 लाख रुपए मुआवजा दिया जाए।
जस्टिस उज्जल भुइयां ने उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर में 24 मार्च की घटना का जिक्र करते हुए कहा, ‘अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान एक तरफ झोपड़ियों पर बुलडोजर चलाया जा रहा था तो दूसरी तरफ एक आठ साल की बच्ची अपनी किताब लेकर भाग रही थी। इस तस्वीर ने सबको शॉक्ड कर दिया था’।
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