नई दिल्ली। parliament winter session का पहला हफ्ता हंगामे की भेंट चढ़ गया। पहले हफ्ते में एक दिन संविधान दिवस का विशेष कार्यक्रम हुआ और बाकी चार दिन में सिर्फ 40 मिनट कार्यवाही चली। हर दिन दोनों सदनों में औसतन 10-10 मिनट कार्यवाही हुई। विपक्ष के सांसद अडानी पर अमेरिकी अदालत में लगे आरोपों की जांच, मणिपुर की जातीय हिंसा और संभल का मुद्दा उठा कर हंगामा करते रहे और सरकार ने भी संसद चलाने की कोई इच्छा नहीं दिखाई। तभी हर दिन 10 मिनट के अंदर दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित हुई।
पहले हफ्ते के आखिरी दिन शुक्रवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा- सहमति, असहमति लोकतंत्र की ताकत है। मैं आशा करता हूं सभी सदस्य सदन को चलने देंगे। देश की जनता संसद के बारे में चिंता व्यक्त कर रही है। सदन सबका है, देश चाहता है संसद चले।
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इससे पहले शुक्रवार को भी लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही हंगामे की वजह से नहीं चली और एक बार के स्थगन के बाद कार्यवाही सोमवार, दो दिसंबर तक स्थगित कर दी गई। सत्र के पहले दिन से कांग्रेस अडानी पर लगे आरोपों को लेकर हंगामा कर रही है और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने गौतम अडानी की गिरफ्तारी की मांग की थी।
बहरहाल, शुक्रवार को कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा- सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि वह कौन सा मुद्दा उठाना चाहती है और कब। क्या सरकार ने कहा था कि अडानी, मणिपुर, संभल, चीन और विदेश नीति पर चर्चा होगी? सरकार की तरफ से कुछ नहीं आया। उन्होंने न तो विषय स्पष्ट किया और न ही तारीख। गोगोई ने कहा- जिस दिन वे विषय और तारीख स्पष्ट कर देंगे, हम सदन चला पाएंगे। लेकिन हम सरकार में एक नया अहंकार देख रहे हैं। दूसरी ओर राज्यसभा में विपक्षी सांसदों की लगातार नारेबाजी के बीच सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा- इसे जायज नहीं ठहराया जा सकता। हम बहुत खराब मिसाल कायम कर रहे हैं। हमारे काम जनता केंद्रित नहीं हैं। हम अप्रासंगिकता की ओर बढ़ रहे हैं।