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मणिपुर में एनपीपी अलग हुई

नई दिल्ली/इम्फाल। मणिपुर की हिंसा को लेकर भाजपा के अंदर चल रही खींचतान के बीच पूर्वोत्तर में एनडीए का कुनबा बिखरता दिख रहा है। मेघालय के मुख्यमंत्री और एनपीपी के नेता कोनरेड संगमा ने मणिपुर सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। राज्य में नए सिरे से हिंसा भड़कने के बाद कोनरेड संगमा ने यह फैसला किया है। राज्य में उनकी पार्टी के सात विधायक हैं। उनकी पार्टी एनपीपी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल है। हालांकि एनपीपी के समर्थन वापस लेने के बाद भी सरकार सुरक्षित है, क्योंकि मणिपुर भाजपा को अपने दम पर बहुमत हासिल है।

समर्थन वापस लेते हुए एनपीपी ने कहा है कि राज्य के मुख्यमंत्री प्रदेश में संकट का हल निकालने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह विफल रहे हैं। उसने यह भी कहा है कि एक सहयोगी, चाहे वो छोटा ही क्यों न हो संख्या बल के तौर पर नहीं तो नैतिक महत्व तो है ही। एनपीपी के मणिपुर सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की मुश्किलें बढ़ गई हैं। अब उनको हटाने की मुहिम तेज होगी।

बहरहाल, मणिपुर में तीन महिला और तीन बच्चों के शव मिलने के बाद मैती समुदाय का हिंसक प्रदर्शन जारी हैं। इसे देखते हुए रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह नागपुर की रैलियां रद्द कर दिल्ली लौट गए। उन्होंने राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बैठक की। साथ ही केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ के महानिदेशक अनीश दयाल को हालात का जायजा लेने के लिए मणिपुर भेजने का फैसला किया गया।

उधर राज्य की बीरेन सिंह सरकार ने केंद्र से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून यानी आफस्पा वापस लेने को कहा है। राज्य में नए सिरे से हिंसा भड़कने के कारण केंद्र सरकार ने 14 नवंबर को इम्फाल पश्चिम, इम्फाल पूर्वी, जिरीबाम, कांगपोकपी और बिश्नुपुर जिलों के सेकमाई, लामसांग, लामलाई, जिरीबाम, लीमाखोंग और मोइरांग पुलिस थाना इलाकों में आफस्पा लगाया था। इसके बाद 16 नवंबर को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और 10 विधायकों के घरों पर हमले हुए। हालात बिगड़ते देख पांच जिलों में कर्फ्यू लगा दी गई और सात जिलों में इंटरनेट सर्विस बंद कर दी गई।

इस बीच, राज्य में राजनीतिक गतिविधियां फिर तेज हो गई हैं। कुछ मंत्रियों सहित भाजपा के 19 विधायकों ने बीरेन सिंह को हटाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय यानी पीएमओ को चिट्ठी लिखी है। बताया जा रहा है कि अगले दो से तीन दिन में हालात और बिगड़े तो प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग सकता है। गौरतलब है कि 16 नवंबर को जिरीबाम में दो महिलाओं और एक बच्चे का शव मिला था। शक है कि इन्हें 11 नवंबर को कुकी उग्रवादियों ने जिरीबाम से अगवा किया था। उसी दिन सुरक्षा बलों ने 10 संदिग्ध उग्रवादियों को मार डाला था। हालांकि कुकी जो संगठन ने इन 10 लोगों को विलेज गार्ड बताया था। बहरहाल, 15 नवंबर की रात भी एक महिला और दो बच्चों के शव मिले थे। इस तरह कुल छह शव मिले हैं और इतने ही लोग राहत शिविर से अगवा हुए थे।

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