नई दिल्ली। उप राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने को विपक्षी पार्टियों ने जरूरी और सही ठहराया है। कांग्रेस सहित विपक्ष की सभी पार्टियों ने बुधवार को सभापति के सदन का संचालन करने के तरीके पर सवाल उठाया। कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के कई कारण बताए। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की कई बड़ी पार्टियों के नेता भी मौजूद थे।
विपक्षी पार्टियों की प्रेस कॉन्फ्रेंस में मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- सभापति राज्यसभा में स्कूल के हेडमास्टर की तरह व्यवहार करते हैं। विपक्ष का सांसद पांच मिनट भाषण दे तो वे उस पर 10 मिनट तक टिप्पणी करते हैं। सभापति सदन के अंदर प्रतिपक्ष के नेताओं को अपने विरोधी के तौर पर देखते हैं। खड़गे ने कहा- सीनियर या जूनियर कोई भी हो, विपक्षी नेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर अपमानित करते हैं। उनके व्यवहार के कारण हम अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर हुए हैं। गौरतलब है कि विपक्ष के 60 सांसदों के दस्तखत के साथ सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस मंगलवार को राज्यसभा के महासचिव को दिया गया।
बहरहाल, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा- सदन में अनुभवी नेता हैं, जर्नलिस्ट हैं, लेखक हैं, प्रोफेसर हैं। कई फील्ड में काम कर सदन में आए हैं। 40-40 साल का अनुभव रहा है, ऐसे नेताओं को भी सभापति प्रवचन सुनाते हैं। खड़गे ने कहा- आमतौर पर विपक्ष चेयर से प्रोटेक्शन मांगता है, अगर सभापति ही प्रधानमंत्री और सत्तापक्ष का गुणगान कर रहा हो तो विपक्ष की कौन सुनेगा। उन्होंने कहा- तीन साल में धनखड़ का आचरण पद की गरिमा के विपरीत रहा है। कभी सरकार की तारीफ के कसीदे पढ़ते हैं, कभी खुद को आरएसएस का एकलव्य बताते हैं। ऐसी बयानबाजी उनके पद को शोभा नहीं देती।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने आगे कहा- जब भी विपक्ष सवाल पूछता है तो मंत्रियों से पहले चेयरमैन खुद सरकार की ढाल बनकर खड़े होते हैं। उनके खिलाफ हमारी कोई निजी दुश्मनी, द्वेष या राजनीतिक लड़ाई नहीं है। देश के नागरिकों को हम विनम्रता से बताना चाहते हैं कि हमने सोच विचारकर संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए मजबूरी में ये कदम उठाया है। उन्होंने कहा- सभापति राजनीति से परे होते हैं। आज सभापति नियमों को छोड़कर राजनीति ज्यादा कर रहे हैं। अंबेडकरजी ने संविधान में लिखा है कि भारत के उप राष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होंगे। पहले राज्यसभा सभापति राधाकृष्णन ने 1952 में सांसदों से कहा था कि ‘मैं किसी भी पार्टी से नहीं हूं। इसका मतलब है कि मैं सदन में हर पार्टी से जुड़ा हूं’।