मुंबई। महाराष्ट्र की भाजपा सरकार अपने फैसले से पीछे हट गई है। विवादों को देखते हुए देवेंद्र फड़नवीस सरकार ने हिंदी को अनिवार्य भाषा बनाने का फैसला वापस ले लिया है। इसके बाद महाराष्ट्र में स्कूली पढ़ाई के लिए अब हिंदी अनिवार्य भाषा नहीं होगी। राज्य सरकार ने हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने का फैसला वापस ले लिया है। शिक्षा मंत्री दादाजी भुसे ने कहा कि मराठी अनिवार्य होगी, अंग्रेजी दूसरी भाषा होगी और तीसरी भाषा वैकल्पिक होगी यानी छात्र कई भाषाओं में से एक चुन सकेंगे।
इससे पहले रविवार को ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने इसका संकेत दे दिया था। उन्होंने कहा था कि छात्र तीसरी भाषा अपने मन से चुन सकेंगे। हिंदी अनिवार्य नहीं होगी। गौरतलब है कि छह दिन पहले यानी बुधवार, 16 अप्रैल को महाराष्ट्र में पहली से पांचवीं तक के छात्रों के लिए तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी अनिवार्य की गई थी। ये फैसला राज्य के सभी मराठी और अंग्रेजी मीडियम स्कूलों पर लागू किया गया था।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के नए पाठ्यक्रम को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र में प्राथमिक कक्षाओं में तीन भाषा की पॉलिसी लागू की गई थी। बताया गया है कि नई शिक्षा का पहला चरण नए अकादमिक वर्ष यानी 2025-26 से पहली क्लास के लिए लागू किया जा रहा है। त्रिभाषा फॉर्मूला चरणबद्ध तरीके से ही लागू किया जाएगा। आने वाले अकादमिक वर्ष से राज्य के पहली क्लास के छात्र तीन भाषाएं पढ़ेंगे।