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जस्टिस निर्मल यादव 17 साल बाद बरी

सुप्रीम कोर्ट

चंडीगढ़। नई दिल्ली में एक जज के घर से करोड़ों रुपए की नकदी बरामद होने की खबरों के बीच ऐसे ही एक मामले का निपटारा 17 साल बाद हुआ है। पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस निर्मल यादव को 15 लाख रुपए के नोटकांड में बरी कर दिया गया है। शनिवार शाम चार बजे के बाद चंडीगढ़ में सीबीआई कोर्ट की विशेष जज अलका मलिक ने उनको बरी करने का फैसला सुनाया। उन्होंने निर्मल यादव सहित सभी आरोपियों को बरी कर दिया।

पूर्व जस्टिस निर्मल यादव के पैर में फ्रैक्चर था इसलिए वे फैसला सुनने के लिए ऊपर कोर्ट में नहीं गईं। कोर्ट में इस मामले को लेकर तीन सौ से ज्यादा सुनवाई हुई और 76 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। हालांकि 10 गवाह अपने बयान से पलट गए। इस केस में पूर्व जज जस्टिस निर्मल यादव के साथ दिल्ली के होटल कारोबारी रविंदर सिंह भसीन, प्रॉपर्टी डीलर राजीव गुप्ता और निर्मल सिंह आरोपी थे।

जस्टिस निर्मल यादव को राहत, मामले में अदालत ने सुनाया सही फैसला

फैसले पर जस्टिस निर्मल यादव के वकील विशाल गर्ग नरवाना ने कहा, ‘सत्य की जीत हुई है। उन्होंने कहा कि यह मामला कई सालों से चल रहा था और अंततः अदालत ने सही फैसला सुनायागौरतलब है कि हाई कोर्ट की जज रहीं जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर गलती से रिश्वत के 15 लाख रुपए पहुंच गए थे। सीबीआई ने दावा किया था कि यह रकम जस्टिस निर्मल यादव के लिए थी। जस्टिस निर्मलजीत कौर के चपरासी अमरीक सिंह ने 13 अगस्त 2008 को हुए इसकी शिकायत की थी।

अमरीक सिंह के मुताबिक संजीव बंसल का मुंशी प्रकाश राम उनके घर प्लास्टिक बैग में यह रकम लेकर पहुंचा था। उसने कहा था कि दिल्ली से कुछ पेपर्स आए हैं, जो डिलीवर करने हैं। हालांकि बैग में मोटी रकम थी। रिटायर जज निर्मल यादव पर प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 11 और बाकी चार आरोपियों पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं सहित आपराधिक साजिश रचने की धारा के तहत केस दर्ज हुआ था। केस की गंभीरता को देखते हुए चंडीगढ़ सीबीआई को केस की जांच सौंपी गई थी।

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