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संदेह का निवारण जरूरी

अगर पत्रकार की मौत की घटना की निष्पक्ष और विश्वसनीय जांच तय समय के अंदर नहीं हुई, तो उठे संदेह मंडराते रहेंगे। पत्रकार वारिशे महाराष्ट्र के रत्नागिरी में एक रिफाइनरी प्रोजेक्ट की लगातार आलोचना कर रहे थे।

महाराष्ट्र के पत्रकार शशिकांत वारिशे की हत्या का मामला देर से चर्चित हुआ। लेकिन इस कांड से संबंधित जानकारियां सामने आने के बाद कई गंभीर शक पैदा हुए हैं। अगर इस घटना की निष्पक्ष और विश्वसनीय जांच तय समय के अंदर नहीं हुई, तो ये संदेह मंडराते रहेंगे। वारिशे महाराष्ट्र के रत्नागिरी में एक रिफाइनरी प्रोजेक्ट की लगातार आलोचना कर रहे थे। इसीलिए उनकी मौत के पीछे साजिश के आरोप लगे हैं। विपक्ष का आरोप है कि पुलिस ने जिस संदिग्ध को गिरफ्तार किया है, वो सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी का सदस्य है। 48 साल के वारिशे की सात फरवरी को रत्नागिरी में एक गाड़ी से टक्कर के बाद मौत हो गई। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक स्कूटर चला रहे वारिशे को उस गाड़ी ने पीछे से टक्कर मारी और फिर उन्हें रौंद दिया। पुलिस ने उस समय गाड़ी चला रहे पंधारिनाथ आंबेरकर नाम के व्यक्ति को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया है।

वारिशे ने इस घटना के एक ही दिन पहले एक स्थानीय अखबार में रिफाइनरी प्रोजेक्ट के खिलाफ इलाके में हो रहे विरोध के बारे में एक लेख लिखा था और लेख में आंबेरकर का नाम भी लिया था। ‘रत्नागिरी रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल’ प्रोजेक्ट एक पुरानी परियोजना है, जिसे रत्नागिरी जिले के नाणर गांव में शुरू किया जाना था। स्थानीय लोग शुरू से इस परियोजना के खिलाफ हैं, क्योंकि उन्हें आशंका है कि उससे पर्यावरण को नुकसान होगा और स्थानीय लोगों की आजीविका भी छिन जाएगी। पूर्व कांग्रेस-शिवसेना-एनसीपी की राज्य सरकार ने लोगों के विरोध को स्वीकार करते हुए परियोजना को रद्द कर दिया था। लेकिन बीते एक साल से ये चर्चा आगे बढ़ी है कि केंद्र सरकार इस परियोजना को रत्नागिरी के ही किसी दूसरे हिस्से में फिर से शुरू करने की कोशिश कर रही है। वारिशे ने इस मुद्दे पर एक स्थानीय अखबार  में कई लेख लिखे थे, जिसमें उन्होंने इसकी वजह से स्थानीय लोगों को होने वाली समस्याओं पर रोशनी डाली थी। उधर आंबेरकर को इस परियोजना के समर्थक बताया जाता है। इसीलिए मामला संदिग्ध हुआ है। लोग वारिशे की मौत का पूरा सच जानना चाहते हैं।

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