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फैसला तो लेना ही होगा

भारत सरकार को 28 हजार करोड़ रुपये का भुगतान रूस को करना है। रूस चाहता है कि भारत या तो दोनों देशों के बीच बन चुके रुपया-रुबल भुगतान सिस्टम के तहत यह भुगतान करे, या फिर वह चीनी मुद्रा युवान या यूएई की मुद्रा दिरहम में ये पैसा दे।

नरेंद्र मोदी सरकार के सामने एक कठिन इम्तिहान आया है। रूस से मंगवाए गए हथियारों और लगातार खरीदे जा रहे तेल के बदले भारत किस मुद्रा में भुगतान करे, इससे संबंधित सवाल अब सामने आ खड़ा हुआ है। भारत सरकार को 28 हजार करोड़ रुपये का भुगतान रूस को करना है। लेकिन रूस डॉलर में यह रकम लेने से मना चुका है। वह चाहता है कि भारत या तो दोनों देशों के बीच बन चुके रुपया-रुबल भुगतान सिस्टम के तहत यह भुगतान करे, या फिर वह चीनी मुद्रा युवान या यूएई की मुद्रा दिरहम में ये पैसा दे। रूस के राजदूत ने कहा है कि भारतीय बैंक रुपया-रुबल सिस्टम के तहत भुगतान नहीं कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें पश्चिमी प्रतिबंधों के दायरे में आ जाने का डर है। राजदूत ने साफ कहा कि इसका असर दोनों देशों के रिश्तों पर पड़ रहा है। लगे हाथ उन्होंने आगाह कर दिया कि रूस अकेला देश है, जो भारत को हथियार के साथ उसकी टेक्नोलॉजी भी
देता है।

पहले खबर आई थी कि निजी क्षेत्र की रूसी कंपनियां एक सीमा से ज्यादा रुपया स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि उन्हें उसका उपयोग नजर नहीं आता। यानी समस्याएं दोनों तरफ हैँ। तो अब एक खबर के मुताबिक भारत सरकार के अंदर युवान या दिरहम में भुगतान पर विचार हुआ है। बताया जाता है कि युवान को लेकर कुछ एतराज हैं, इसलिए संभव है कि भारत आखिरकार दिरहम में भुगतान करे। लेकिन रुपया, दिरहम या युवान में से किसी मुद्रा में भुगतान का मतलब भारत का इस समय दुनिया में डॉलर से मुक्त होने की चल रही प्रक्रिया में शामिल होना होगा। ये बात अमेरिका को नागवार गुजरेगी। अभी हाल में ही भारत ने अमेरिका के साथ अपने रक्षा संबंध को और मजबूत किया है। अब मुश्किल यह है कि भारत के सामरिक और सामरिक-आर्थिक हितों के बीच अंतर्विरोध खड़ा होने लगा है। साफ है, इस बारे में भारत को दो-टूक निर्णय लेना होगा। बंटती दुनिया में दोनों तरफ से लाभ उठाने की रणनीति ज्यादा दिन तक कारगर नहीं रह पाएगी।

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