Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

Ganesh Chaturthi: कैसे हुई गणपति उत्सव की शुरूआत और जानें इसका इतिहास

Ganesh Chaturthi History

source- news nation

Ganesh Chaturthi History: आज से गणेश चतुर्थी के पर्व की शुरूआत हो चुकी है. आज से हर घर में गणपति बप्पा विराजमान होंगे. देशभर में गणेशचतुर्थी की धूम देखी जा सकती है. लेकिन महाराष्ट्र जैसा उत्सव आपको कहीं भी नहीं मिल सकता है. महाराष्ट्र के लिए गणेशोत्सव सबसे बड़ा त्योंहार माना जाता है. महाराष्ट्र में गणेशोत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. महाराष्ट्र में गणेशोत्सव को धूमधाम से मनाने के पीछे आजादी की लड़ाई की एक दिलचस्प कहानी छिपी हुई है.

बाल गंगाधर तिलक ने इसे अंग्रेजों के खिलाफ जनजागृति का माध्यम बनाया, जिससे लोग एकजुट होकर स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो सकें. आइए जानते हैं, कैसे गणेशोत्सव की शुरुआत हुई और कैसे यह त्योहार स्वतंत्रता की लड़ाई से जुड़ा. शिव पुराण के मुताबिक भ्राद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश का जन्म हुआ था. इस कारण देशभर में लोग अपने-अपने घरों में गणेश जी की पूजा-अर्चना करते थे. लेकिन महाराष्ट्र में गमेशोत्सव धूमधाम से मनाने का यह कारण नहीं था.

also read: Ganesh Chaturthi 2024: गणेश चतुर्थी आज, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

पेशवाओं ने परंपरा शुरू की

1890 के दशक में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान, बाल गंगाधर तिलक अक्सर मुंबई की चौपाटी पर समुद्र किनारे बैठकर यह सोचते थे कि लोगों को एकजुट करने का तरीका क्या हो सकता है. तब उनके मन में यह विचार आया कि क्यों न गणेशोत्सव को सार्वजनिक रूप से मनाया जाए, जिससे समाज के हर वर्ग के लोग इसमें शामिल हो सकें. इसी विचार ने गणेशोत्सव को एक राष्ट्रीय उत्सव का रूप दिया, जो स्वतंत्रता संग्राम में जनजागृति का प्रमुख साधन बना.

गणेशोत्सव की ऐतिहासिक जड़ों की बात करें तो इसका श्रेय मराठा पेशवाओं को दिया जाना चाहिए. माना जाता है कि पेशवा सवाई माधवराव के शासनकाल के दौरान पुणे के प्रसिद्ध शनिवारवाड़ा महल में भव्य गणेशोत्सव का आयोजन होता था. हालांकि, अंग्रेजों के शासनकाल में इस उत्सव की भव्यता में कमी आई, लेकिन यह परंपरा जीवित रही और समाज में इसका महत्व बना रहा.

बाल गंगाधर तिलक का योगदान

पेशवाओं ने गणेशोत्सव मनाने की परंपरा शुरू की, लेकिन सार्वजनिक गणेशोत्सव का श्रेय बाल गंगाधर तिलक को जाता है. तिलक ने 1893 में पहली बार सार्वजनिक गणेशोत्सव का आयोजन किया, जो धीरे-धीरे पूरे महाराष्ट्र में लोकप्रिय हो गया. नासिक में वीर सावरकर और कवि गोविंद ने मित्रमेला संस्था बनाकर गणेशोत्सव मनाना शुरू किया. इस संस्था का उद्देश्य देशभक्तिपूर्ण मराठी लोकगीतों, जैसे पोवाडे, को आकर्षक ढंग से प्रस्तुत करना था, जिससे पश्चिमी महाराष्ट्र में धूम मच गई.

राम-रावण की कथाओं के माध्यम से लोगों में देशभक्ति का भाव जगाने में ये सफल रहे, और गणेशोत्सव के जरिए स्वतंत्रता संग्राम को और भी मजबूती मिली. इसके प्रभाव से नागपुर, वर्धा, अमरावती जैसे शहरों में भी गणेशोत्सव ने आजादी के आंदोलन की अलख जगा दी. तभी से महाराष्ट्र में गणेश उत्सव मानने की परंपरा शुरू हो गई और आज तक बड़े ही अनोखे और धूमधाम से गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है.

also read:स्वतंत्रता आंदोलन में भी श्रीगणेश जी हमारे नायक थे 

Exit mobile version