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चाईबासा में 7 जनवरी को अमित शाह की सभा

रांची। साल 2023 के आगाज के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) चुनावी मोड में आ गई है। पार्टी के शीर्ष रणनीतिकार और केंद्रीय गृह मंत्री (Amit Shah) आगामी 7 जनवरी को झारखंड आ रहे हैं। उद्देश्य है, पार्टी के नेताओं को वर्ष 2024 में होनेवाले चुनावों के मद्देनजर अलर्ट करना और वोटर्स को मोटिवेट करने के अभियान को सुनियोजित तरीके से गति देना। इसकी शुरूआत चाईबासा (Chaibasa) में जनसभा (rally) के साथ होगी। अमित शाह इस जनसभा को संबोधित तो करेंगे ही, पार्टी के प्रदेश और लोकसभा स्तरीय कमेटियों के प्रमुख नेताओं के साथ बैठक कर उन्हें आने वाले महीनों के लिए टास्क सौंपेंगे।

अगर सब कुछ सामान्य रहा तो तय शेड्यूल के अनुसार वर्ष 2024 में पहले लोकसभा (Lok Sabha) और इसके कुछ महीनों बाद ही राज्य विधानसभा (Assemblies) के चुनाव होंगे। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश की 14 में से 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी। दो सीटों चाईबासा और राजमहल पर पार्टी को पराजय हाथ लगी थी। इसके कुछ ही महीनों बाद नवंबर-दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की सत्ता गंवा दी थी। हेमंत सोरेन की अगुवाई वाले झामुमो, कांग्रेस और राजद के गठबंधन ने भाजपा को शिकस्त दी थी। भाजपा अगले साल होने वाले चुनावों में इसकी पुनरावृत्ति नहीं होने देना चाहती। इसके लिए राज्य में पार्टी संगठन के कल-पुजरें को दुरुस्त कर रणनीतिक तौर पर आगे बढ़ने की रूपरेखा तय की जा रही है।

राज्य में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए नए लक्ष्य तय करते हुए पार्टी ने तीन महीने पहले उत्तर प्रदेश से आनेवाले वरिष्ठ भाजपा नेता लक्ष्मीकांत वाजपेयी को झारखंड का प्रभारी बनाया है। वर्ष 2014 के चुनाव के दौरान लक्ष्मीकांत वाजपेयी को उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी गयी थी, जहां पार्टी को बड़ी जीत हासिल हुई थी और इसमें उनकी बड़ी भूमिका रही थी। इस बार पार्टी ने उनके अनुभव और रणनीतिक कौशल को देखते हुए उन्हें झारखंड के मोर्चे पर तैनात किया है। वाजपेयी झारखंड पहुंचते ही पहली बार जब यहां के पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से मुखातिब हुए तो उन्होंने साफ कहा था कि इस बार राज्य की सभी 14 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करना हमारा लक्ष्य है।

पिछले चुनाव में झारखंड की जिन दो लोकसभा सीटों पर पार्टी पराजित हुई थी, इस बार पार्टी अपने चुनावी अभियान का आगाज वहीं से कर रही है। इनमें से एक सीट चाईबासा की थी। इसी ²ष्टि से अमित शाह की सबसे पहली जनसभा चाईबासा में हो रही है। इस जनसभा की तैयारी को लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश, राज्य में भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी सहित प्रदेश की कोर टीम के सभी प्रमुख नेता चाईबासा पहुंच गए हैं। जनसभा में ज्यादा से ज्यादा लोग पहुंचें, यह सुनिश्चित करने के लिए अगले चार-पांच दिनों तक ये नेता एक-एक प्रखंड का दौरा करेंगे।

लोकसभा के बाद होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा इस बार एसटी (आदिवासी) के लिए आरक्षित सीटों पर सबसे ज्यादा फोकस कर रही है। वर्ष 2019 के चुनावों में पार्टी को राज्य में एसटी के लिए आरक्षित 28 में से 26 सीटों पर पराजय झेलनी पड़ी थी। पार्टी के राज्य की सत्ता से बाहर होने की यह सबसे बड़ी वजह मानी गई थी। भाजपा को इस बात का बखूबी एहसास है कि झारखंड प्रदेश की सत्ता हाथ से निकलने के कितने नुकसान हैं। देश की हिंदी पट्टी के प्रदेशों में अपेक्षाकृत छोटा होने के बावजूद यह देश की अर्थव्यवस्था को आधार देनेवाला एक महत्वपूर्ण राज्य है और भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व जानता है कि इस राज्य की सत्ता जनजातीय समाज के बीच पैठ के बिना हासिल नहीं हो सकती। चुनावी अभियान की शुरूआत के लिए चाईबासा को चुने जाने की एक वजह यह भी है कि यह कोल्हान प्रमंडल का मुख्यालय है, जहां विधानसभा की कुल 14 सीटों में नौ आदिवासियों (एसटी) के लिए आरक्षित हैं। (आईएएनएस)

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