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फिर नहीं हुआ दिल्ली के मेयर का चुनाव

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में नगर निगम चुनाव के नतीजे आए दो महीने पूरे हो गए और अभी तक मेयर का चुनाव नहीं हो पाया है। सोमवार को तीसरी बार मेयर और स्थायी समितियों का चुनाव टल गया। निगम चुनाव में जीत कर पूर्ण बहुमत हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी और चुनाव हारी भाजपा ने चुनाव टलने के लिए एक दूसरे पर आरोप लगाए हैं। सोमवार को उप राज्यपाल की ओर से मनोनीत सदस्यों को वोट डालने का अधिकार दिए जाने पर विवाद शुरू हुआ और हंगामे की वजह से चुनाव टालना पड़ा।

एमसीडी की अध्यक्षता कर रहे सत्य शर्मा ने सोमवार को कहा कि उप राज्यपाल ने जिन 10 सदस्यों को मनोनीत किया है, वो वोट डाल सकेंगे। मनोनीत सदस्यों को वोट देने की मंजूरी मिलने के बाद आम आदमी पार्टी के इसका विरोध किया। इसके बाद दोनों पार्टियों के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। हंगामे को देखते हुए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। इससे पहले छह और 24 जनवरी को भी चुनाव नहीं हो पाए थे।

बताया जा रहा है कि आम आदमी पार्टी एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है। सदन स्थगित होने के बाद आप ने भाजपा पर निशाना साधा। पार्टी की नेता आतिशी ने कहा कि भाजपा की मंशा साफ नजर आ रही है कि पार्टी मेयर का चुनाव नहीं करवाना चाहती है। उन्होंने कहा कि भाजपा बेईमानी से एमसीडी पर सरकार बना कर बैठी है। दूसरी तरफ नई दिल्ली की सांसद और केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि दिल्ली को एक भ्रष्ट मुख्यमंत्री मिला है, जिसका नाम लगातार शराब घोटाले में आ रहा है। इसी पैसे का इस्तेमाल कर उन्होंने गोवा में और फिर मेयर चुनाव लड़ने की कोशिश की।

मीनाक्षी लेखी ने यह भी आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी ने भाजपा के नौ पार्षदों को पद और पैसे का लालच दिया। गौरतलब है कि आप ने मेयर के लिए शैली ओबेरॉय को और भाजपा ने रेखा गुप्ता को मैदान में उतारा है। गौरतलब है कि ढाई सौ सदस्यों के नगर निगम में आम आदमी को 134 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत मिला है, जबकि भाजपा 104 सीटों पर जीत पाई।

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