नई दिल्ली। देश के जाने माने तीन सौ से ज्यादा वकीलों ने केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू के एक बयान के खिलाफ खुली चिट्ठी लिखी है। कुछ रिटायर जजों को देश विरोधी बताने के रिजीजू के हालिया बयान का विरोध करते हुए इस चिट्ठी में कहा गया है कि वे तत्काल अपना बयान वापस लें। करीब सवा तीन सौ वकीलों ने इस चिट्ठी पर दस्तखत किए हैं और इसकी निंदा करते हुए कहा है कि कानून मंत्री ने जजों को धमकाने का काम किया है। इस पर दस्तखत करने वालों में कपिल सिब्बल, अभिषेक सिंघवी, दुष्यंत दवे, इंदिरा जयसिंह, राजू रामचंद्रन, अरविंद दातार, राजशेखर राव आदि शामिल हैं।
गौरतलब है कि रिजीजू ने ‘इंडिया टुडे’ के कॉन्क्लेव में रिटायर जजों को लेकर कहा था कि कुछ रिटायर जज एंटी इंडिया ग्रुप का हिस्सा बन गए हैं। इस बयान का विरोध करते हुए वकीलों के समूह ने एक बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि एक मंत्री का धौंस जमाना और जजों को धमकाना शोभा नहीं देता। वकीलों ने कहा है- सरकार की आलोचना करना न तो राष्ट्र के खिलाफ होता है और न ही देशद्रोही गतिविधि है।
वकीलों का कहना है कि रिटायर जजों को धमकी देकर कानून मंत्री लोगों को मैसेज दे रहे हैं कि विरोध के किसी भी स्वर को बख्शा नहीं जाएगा। वकीलों ने कहा है कि एक सांसद के नाते रिजीजू ने संविधान की रक्षा की शपथ ली है और कानून व न्याय मंत्री के तौर पर उनकी यह जिम्मेदारी बनती है कि वे न्यायपालिका और न्यायाधीशों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। वकीलों की चिट्ठी में कहा गया है कि मौजूदा और रिटायर दोनों तरह के जजों की सुरक्षा केंद्रीय कानून मंत्री की जिम्मेदारी है। वकीलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के हवाले कानून मंत्री को बताया है कि सरकार की कड़ी से कड़ी आलोचना होनी चाहिए। इसी से सरकार अलर्ट रहती है और जवाबदेह भी रहती है।