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सरकारी संस्थाओं को जोशीमठ पर रिपोर्ट देने से रोका

नई दिल्ली। उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने और पहाड़ टूटने से लेकर किसी भी तरह की रिपोर्ट जारी करने पर रोक लगा दी गई है। सरकारी संस्थाओं से कहा गया है कि वे वहां के हालात को लेकर कोई रिपोर्ट जारी न करें। गौरतलब है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो ने एक दिन पहले शुक्रवार को रिपोर्ट दी थी कि उत्तराखंड के जोशीमठ में सिर्फ 12 दिन में जमीन 5.4 सेंटीमीटर धंस गई है।

इसके बाद ही राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, एनडीएमए ने सरकारी संस्थानों को मीडिया के साथ बातचीत करने और सोशल मीडिया पर डाटा साझा करने से रोक दिया। एनडीएमए की ओर से कहा गया है कि संगठनों की डाटा की अपनी व्याख्या भ्रम पैदा कर रही है। गौरतलब है कि जोशीमठ में पहाड़ धंस रहे हैं, जिनसे घरों में दरारें पड़ रही हैं और सात सौ से ज्यादा घरों को खतरनाक घोषित कर वहां रहने वालों को अस्थायी राहत शिविर में शिफ्ट किया गया है।

बहरहाल, एनडीएमए ने सरकारी संस्थानों को लिखी चिट्ठी में कहा है कि 12 जनवरी को केंद्रीय गृह मंत्री की अध्‍यक्षता में आयोजित बैठक में इस मुद्दे को लेकर प्रकाश डाला गया था। इसमें कहा गया- यह देखा गया है कि विभिन्न सरकारी संस्थान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विषय वस्तु से जुड़ा डाटा जारी कर रहे हैं और साथ ही स्थिति की अपनी व्याख्या के साथ मीडिया के साथ बातचीत कर रहे हैं। यह न केवल प्रभावित निवासियों, बल्कि देश के नागरिकों के बीच भी भ्रम पैदा कर रहा है।

जोशीमठ में जमीन के धंसने के आकलन के लिए विशेषज्ञ समूह का गठन करने की ओर इशारा करते हुए एनडीएमए ने इसरो सहित कई संस्थानों से अनुरोध किया है कि वे इस मामले के बारे में अपने संगठन को संवेदनशील बनाएं और विशेषज्ञ समूह की ओर से जारी अंतिम रिपोर्ट आने तक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कुछ भी पोस्ट करने से बचें। गौरतलब है कि कार्टोसैट-2 एस उपग्रह से ली गई और इसरो के राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर द्वारा जारी की गई सेटेलाइट इमेज से पता चला है कि जोशीमठ में 27 दिसंबर और आठ जनवरी के बीच 5.4 सेंटीमीटर का धंसाव हुआ है। प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि दो जनवरी 2023 को शुरू हुई धंसने की तेज घटना के कारण बड़े पैमाने पर मिट्टी धंस रही है।

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