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अखिलेश यादव ने भाजपा को बताया प्रभुत्ववादियों की पार्टी

New Delhi, Feb 11 (ANI): Samajwadi party chief Akhilesh Yadav speaks in the Lok Sabha during the Budget Session, in New Delhi on Tuesday. (ANI Photo/Sansad TV)

Akhilesh Yadav : समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने अपने हालिया सोशल मीडिया पोस्ट में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने चुनावी धांधलियों और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए लंबी फेहरिस्त पेश की है। अखिलेश ने भाजपा पर अनैतिकता का आरोप भी लगाया और कहा कि इस पार्टी में आंतरिक गुटबाजी और सत्ता के दुरुपयोग जैसी चीजें भी आम हैं। (Akhilesh Yadav)

अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट में लिखा, “जिसको उसी के तथाकथित अपने दल ने ये कहकर खारिज कर दिया हो कि उसका विचार व्यक्तिगत है और इस लायक नहीं कि उसकी पुष्टि या समर्थन किया जाए, वो एक सेवानिवृत्त संवैधानिक पद को सफलतापूर्वक सुशोभित कर चुके उच्चाधिकारी के बारे में मुंह न खोले, उसी में उसकी इज्जत है।

अखिलेश ने पोस्ट में आगे एक लंबी लिस्ट शेयर करते हुए कहा- कुछ भी कहने-लिखने से पहले भाजपाई अपनी निम्नलिखित चंद चुनावी वारदातों पर निगाह डाल लें:

2022 के यूपी विधानसभा में वोटर लिस्ट के द्वारा धांधली और लगभग 90 सीटों के परिणामों पर घपला।

चंडीगढ़ मेयर चुनाव में सुप्रीम कोर्ट के सीसीटीवी के सामने वोट की धांधली की वीडियो रिकॉर्डिंग और बाद में सुप्रीम कोर्ट की डांट।

2024 के लोकसभा चुनावों में कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की मदद से झूठी गिनती के आधार पर कई सीटों पर सर्टिफिकेट में हेराफेरी के ‘फर्रुखाबाद कांड’ जैसे अनेक गैरकानूनी इलेक्शन रिजल्ट हेराफेरी कांड।

उत्तर प्रदेश के मीरापुर उपचुनाव में कुछ भ्रष्ट पुलिसकर्मियों की मदद से वोटरों को पिस्तौल से धमकाकर वोट न डालने देने की घटना और उसकी विश्वविख्यात तस्वीर।

लोकसभा चुनाव में मप्र में भाजपा प्रत्याशी के विरुद्ध खड़े हुए प्रत्याशियों को उठाकर ले जाने और चुनावी पर्चे वापस करवाने की घटना और तथाकथित निर्विरोध चुनाव जीतने का लोकतांत्रिक पाप।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एक बड़े भाजपाई नेता के नोट बांटते पकड़े जाने की घटना।

हरियाणा व महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अचानक वोटरों की संख्या या आखिरी घंटे में कई प्रतिशत वोट बढ़ जाने की घटना।

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उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर उपचुनाव में किसी ‘मुख्य कार्यालय’ से चुनावी तंत्र को झूठे वोट डलवाने का टारगेट देने का अपराध और झूठे वोटरों का इस्तेमाल, एक मतदाता द्वारा भाजपा के पक्ष में 6 वोट डालने का टीवी पर खुद स्वीकार किया जाना।

महाराष्ट्र चुनाव में एक पुलिस अधिकारी को 10 लाख रुपए देकर ईवीएम की धांधली को नजरअंदाज करने का दबाव बनाना और न जाने ऐसी कितनी और चुनावी धांधलियाँ हैं, जो भाजपा के चुनावी दामन के कभी भी न धुलने वाले दाग हैं।

अखिलेश ने आगे लिखा भाजपाइयों की नैतिक स्मृति न तो कभी थी और न ही होगी फिर भी याद दिलाना तो बनता ही है। ‘साइड-लाइन’ किए जा रहे लोग अपने विवादित बयानों से ‘मेन-लाइन’ में आने की कोशिश न करें। भाजपावाले किसी के क्या, खुद के भी सगे नहीं हैं। अब ये सोशल मीडिया पर एक-दूसरे पर छींटाकशी कर रहे हैं। भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी चरम पर है। भाजपा की ‘भ्रष्टाचार-मंडली’ की सर-फुटव्वल आपस में ही एक-दूसरे के राज खोल रही है। भाजपा का मुखौटा उतर गया है और उनका अहंकार जनता उतार देगी। इतिहास गवाह रहा है कि नकारात्मक सत्ताओं के विकास में ही उनका पतन निहित होता है।

वहीं, एक अन्य पोस्ट में अखिलेश यादव ने भाजपा शासित राज्यों में दलितों, खासकर दलित महिलाओं पर बढ़ते अत्याचारों को लेकर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा की नीतियां और संगठनात्मक ढांचा गरीब, वंचित, दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक और महिलाओं के लिए अपमानजनक है।

अखिलेश ने लिखा, “दलितों पर अत्याचार के मामले में भाजपा सरकार के समय में यूपी नंबर वन बन गया है। सवाल ये है कि दलितों पर हमलों और दलितों के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराधों में, वो भी खासतौर से दलित महिलाओं के उत्पीड़न और दुर्व्यवहार की वारदातों में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, ओडिशा, महाराष्ट्र जैसे वो ही राज्य क्यों हैं, जो भाजपा शासित हैं।

भाजपा मूलतः परंपरागत प्रभुत्ववादियों की पार्टी है और वर्चस्ववादी भाजपाइयों की बुनियादी सोच सामंतवादी है, जिसमें गरीब, वंचित, दलित, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, आधी आबादी (महिलाओं) और आदिवासियों के लिए सिर्फ अपमान और जलालत के अलावा और कुछ नहीं है। मन, मानस और आचरण में भाजपाई आजादी से पहले की ही सोच में जी रहे हैं। इसलिए भाजपाई संविधान के भी विरोधी हैं क्योंकि भाजपा में संगठन और सरकार के प्रमुख पदों पर हमेशा ही केवल कुछ खास लोग ही विराजमान रहते हैं और बाकी दौड़-भाग, डंडा-झंडा, बैनर-दरी के काम औरों को दे दिए जाते हैं। (Akhilesh Yadav)

उन्होंने आगे लिखा कि भाजपा के अंदर पदनाम भले किसी दलित, पिछड़े को मिल जाए पर ‘पदमान’ कभी नहीं मिलता। उनके नाम से चुनाव लड़े जाते हैं लेकिन मुख्यमंत्री की तो छोड़ो, उन्हें और भी कोई कुर्सी नहीं दी जाती है। अगर सच में कोई अपने ज़मीर की आवाज़ सुने तो वो ऐसे लोगों के हाथ न तो उत्पीड़ित हो और न ही अपमानित, ये बात अलग है कि वो अपने स्वार्थ और लालच की वजह से समझौता कर रहा है।
Pic Credit : ANI

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