लखनऊ। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के ताजा फैसले पर सवाल उठाए हैं। उत्तर प्रदेश में सोमवार को कैबिनेट बैठक में पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति को मंजूरी मिली थी। अब यूपी में डीजीपी की नियुक्ति राज्य सरकार के स्तर से ही हो सकेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को कैबिनेट ने इस बाबत पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश के पुलिस बल प्रमुख) चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024 को मंजूरी प्रदान कर दी। इस पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को सोशल मीडिया (Social Media) मंच ‘एक्स’ पर लिखा सुना है, किसी बड़े अधिकारी को स्थाई पद देने और उसका कार्यकाल दो वर्ष तक बढ़ाने की व्यवस्था बनाई जा रही है। अब सवाल यह है कि व्यवस्था बनाने वाले खुद दो वर्ष रहेंगे या नहीं? इसके बाद उन्होंने तंज कसते हुए लिखा कि कहीं ये दिल्ली के हाथ से लगाम अपने हाथ में लेने की कोशिश तो नहीं है? दिल्ली बनाम लखनऊ 2.0। इस पर भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी (Rakesh Tripathi) ने पलटवार करते हुए कहा कि अखिलेश यादव को रह रह करके अपने कार्यकाल की याद सताती है कि कैसे उनके कार्यकाल में मुख्यमंत्री की कुर्सी के चार पाये हुआ करते थे। एक पाया रामगोपाल यादव खींचा करते थे। दूसरा पाया शिवपाल यादव खींचा करते थे। तीसरा पाया मुलायम सिंह यादव और चौथा पाया आजम खान खींचा करते थे।
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उन्होंने आगे कहा कि अपने पूरे कार्यकाल में अखिलेश (Akhilesh) कितने परेशान रहे हैं, इसको उन्होंने सार्वजनिक तौर पर भी स्वीकार किया था। कैसे मुलायम सिंह यादव के कहने पर बार बार मंत्रिमंडल में फेरबदल करना पड़ता था। कभी यह मंत्री हटाते और कभी बनाने। अखिलेश यादव को अपनी यह बेचारगी याद आती है। इसलिए वह अपने गम को दूर करने के लिए उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार पर ऊलजलूल आरोप लगाने का कम करते हैं। राकेश त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की योगी आदित्यनाथ सरकार लोकतांत्रिक तरीके से चल रही है। मंत्रिमंडल और संगठन से भी परामर्श करते हैं, लेकिन निर्णय मुख्यमंत्री करते हैं। कम से कम अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) इस तरह के आधारहीन आरोप लगाकर अपने गम दूर करने का प्रयास मत करें। ज्ञात हो कि प्रदेश में अब पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति राज्य सरकार के स्तर से ही हो सकेगी। चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2024 में हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति की अध्यक्षता में मनोनयन समिति गठित करने का प्रावधान किया गया है। डीजीपी का न्यूनतम कार्यकाल दो वर्ष निर्धारित किया गया है।