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बिहार में नेताओं के पाला बदलने का खेल शुरू

पटना। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में अभी करीब एक साल की देरी है, लेकिन बिहार (Bihar) में अभी से ही पाला बदलने का खेल शुरू हो गया है। नेताओं के दल बदल का सिलसिला और तेज होने की संभावना जताई जा रही है। बताया जा रहा है कि नेता अभी से ही भविष्य को लेकर अपनी गोटी फिट कर लेना चाहते हैं। वैसे, माना यह भी जा रहा है कि हाल के दिनों में इस पाला बदलने का लाभ अभी तक भाजपा (BJP) के लिए फायदेमंद हुआ है। सात दलों के महागठबंधन (Grand Alliance) की तुलना में भाजपा के पास लोकसभा (Lok Sabha) एवं विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) में दूसरों को देने के लिए अधिक सीटें हैं। जदयू (JDU) की वरिष्ठ नेता रहीं पूर्व सांसद मीना सिंह (Meena Singh) और उनके बेटे विशाल सिंह (Vishal Singh) ने दो दिन पहले भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। पाला बदलने वालों में मुजफ्फरपुर जिले के कांटी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके पूर्व मंत्री अजीत कुमार एवं पश्चिमी चंपारण जिले के राजेश सिंह भी हैं, जिन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है। पूर्व विधान पार्षद सुमन कुमार महासेठ, वैश्य भारतीय सूड़ी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा पूर्व प्रत्याशी मनोज पूर्वे भी भाजपा में शामिल हुए हैं।

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इधर, भाजपा के उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने जदयू की सदस्यता ग्रहण की है। भाजपा बिहार प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल कहते हैं कि जदयू का हर नेता आज अंदर ही अंदर काफी व्यथित है। जिन्होंने दशकों तक जंगलराज के खिलाफ राजद से लड़ाई लड़ी, उसी राजद के हाथों में नीतीश ने पार्टी को गिरवी रख दिया है। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि आने वाले दिनों में और भी कई नेता भाजपा की सदस्यता ग्रहण करेंगे। वैसे भाजपा के सूत्रों का कहना है कि भाजपा के रणनीतिकार ने साफ कह दिया है कि किसी शर्त या भविष्य की उम्मीद के साथ कतई किसी को पार्टी में शामिल नहीं कराएं। कहा यह भी जा रहा है कि कई नेता पाला बदलने के लिए सही समय का इंतजार कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि जदयू के राजद के साथ जाने के बाद वैसे विधायक असमंजस में हैं जिन्होंने राजद प्रत्याशी को चुनाव में हराकर विधानसभा पहुंचे। बहरहाल, बिहार में पाला बदलने का खेल शुरू हो गया है, अब देखने वाली बात होगी कि इसका कितना लाभ राजनीतिक दलों को कितना मिलता है। (आईएएनएस)

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